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दुधवा टाइगर रिजर्व में हुई हाथी की मौत, तीन डाक्टरों का पैनल करेगा हाथी का पोस्टमार्टम

by City Headline

पलियाकलां

दुधवा टाइगर रिजर्व के सलूकापुर बेस कैंप में एक हाथी की मौत हो गई। हाथी को बीमार बताया गया है पर उसे क्या बीमारी थी यह पता नहीं चल पाया है। पार्क प्रशासन का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही उसकी बीमारी का पता चल पाएगा। दुधवा टाइगर रिजर्व के सलूकापुर बेस कैंप में 14 पालतू हाथियों को रखा गया है।

कुछ हाथी पर्यटकों को घुमाने के कार्य में तैनात है और बाकी हाथी गैडों की मानीटरिंग के काम में लगाए गए हैं। इन्ही हाथियों में से मिथुन की मौत हो गई है। बुधवार की रात करीब 12 बजे उसने अंतिम सांस ली उसकी उम्र करीब 50 साल थी। पार्क के फील्ड निदेशक संजय पाठक ने बताया कि बुधवार की शाम को अचानक हाथी मिथुन की तबियत खराब हुई थी। वह एकदम से कांपने लगा था।

डाक्टर ने उसके सेहत की जांच कर दवा दी थी जिससे उसको कुछ राहत भी मिली थी लेकिन, बाद में वह जमीन पर बैठ गया था उसे प्रयास करके उठाया भी गया था लेकिन, रात में उसकी मौत हो गई। उन्होंने बताया कि हाथी की उम्र करीब 50 साल थी। सामान्य तौर पर हाथी की यही उम्र मानी जाती है।

दुधवा के हाथी मिथुन की मौत के बाद उसकी मौत का कारण जानने के लिए तीन डाक्टरों का पैनल गठित किया गया है जो उसके शव का पोस्टमार्टम करेगा। पैनल में डा. वीपी सिंह, डा. दया व डा. अरविंद कुमार शामिल हैं।

मृत हाथी मिथुन मूल रुप से दुधवा का नहीं था। उसे वाराणसी से दुधवा लाया गया था। वहां पर उसने मेले में एक आदमी को कुचल कर मार दिया था। जिसके बाद उसे सजा के तौर पर बेड़ियों में जकड़ दिया गया था। बाद में उसे दुधवा भेजा गया था। करीब तीन साल पहले उसे दुधवा लाया गया था। यहां पर पहले उसे गुलरा में रखा गया था और बाद में जब उसके हाव भाव शांत हो गए थे तो उसे दुधवा के हाथियों के साथ सलूकापुर बेस कैंप भेज दिया गया था।

दुधवा के उपनिदेशक कैलाश प्रकाश ने बताया कि मिथुन हाथी बीमार था। उसे बचाने का भरसक प्रयास भी किया गया लेकिन, उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। उन्होंने बताया कि बुधवार की रात करीब 12 बजे मिथुन ने आखिरी सांस ली।

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