नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने सीएजी (कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) रिपोर्टों पर विचार करने में अत्यधिक देरी की है। अदालत ने कहा, “जिस तरह से आपने देरी की है, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है।” जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने दिल्ली सरकार के द्वारा सीएजी रिपोर्टों को विधानसभा में प्रस्तुत करने में हुई देरी पर सवाल उठाए और सरकार को तुरंत रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को भेजने का निर्देश दिया, ताकि सदन में चर्चा शुरू की जा सके।
अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार को यह रिपोर्ट जल्दी से विधानसभा स्पीकर को भेजनी चाहिए थी, जैसा कि समयसीमा में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया था। कोर्ट ने सरकार के इस तरीके पर भी आलोचना की, जिसमें उसने विधानसभा सत्र को होने से रोकने के लिए कदम पीछे खींचे थे। अदालत ने यह भी कहा कि एलजी को रिपोर्ट भेजने में देरी और मामले को संभालने के तरीके ने सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाए हैं।
दिल्ली सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा कि चुनाव नजदीक आने के कारण सत्र को आयोजित करना संभव नहीं था। यह विवाद तब सामने आया जब भाजपा के सात विधायकों ने विधानसभा में सीएजी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक याचिका दाखिल की थी। पिछली सुनवाई में, दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने कोर्ट को बताया था कि सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने से कोई लाभ नहीं होगा, क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है।
इस मामले में दिल्ली सरकार की स्थिति और विधानसभा के कार्यों को लेकर कोर्ट का कड़ा रुख साफ दिख रहा है।