दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) के छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव प्रस्तावित किया जा सकता है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो जनरल इलेक्टिव (GE) विषयों में ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ को अनिवार्य यानी जरूरी बना दिया जाएगा। यह प्रस्ताव 17 जनवरी को DU की कार्यकारी परिषद की बैठक में रखा जाएगा, जहां इस पर विचार किया जाएगा।
हिंदी विभाग का प्रस्ताव
हिंदी विभाग का मानना है कि सभी कॉलेजों में जनरल इलेक्टिव (GE) के तहत तीन हिंदी साहित्य के पेपर शामिल किए जाने चाहिए। इन पेपर्स में ‘साहित्य लोचन’, ‘हिंदी साहित्य का इतिहास भाग 1’ और ‘हिंदी साहित्य का इतिहास भाग 2’ शामिल हैं। विभाग का सुझाव है कि चाहे छात्र इंग्लिश ऑनर्स, अर्थशास्त्र या राजनीति विज्ञान जैसे किसी भी विषय में हों, वे इन हिंदी साहित्य के पेपर का चुनाव कर सकेंगे।
हिंदी को अनिवार्य बनाने की पुरानी कोशिश
दिल्ली यूनिवर्सिटी पहले भी हिंदी को अनिवार्य बनाने या हिंदी परीक्षा शुरू करने की कोशिश कर चुका है, लेकिन इसे लेकर कई विवाद और आलोचनाएं भी उठ चुकी हैं। खासकर गैर-हिंदी भाषी राज्यों से आने वाले छात्रों ने इसका विरोध किया है। उनका तर्क है कि इस तरह की नीतियां देश की भाषाई विविधता की अनदेखी करती हैं और उन छात्रों पर अतिरिक्त बोझ डालती हैं, जो हिंदी नहीं जानते।
आने वाले सेमेस्टर में बदलाव का असर
यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो आने वाले सेमेस्टर के शैक्षणिक ढांचे में बदलाव हो सकता है। इस बदलाव का छात्रों पर क्या असर होगा, यह 17 जनवरी की बैठक के बाद साफ हो सकेगा।
इस प्रस्ताव पर निर्णय के बाद, दिल्ली यूनिवर्सिटी के शैक्षिक वातावरण और छात्र समुदाय पर इसके दीर्घकालिक प्रभावों को लेकर बहस जारी रह सकती है।