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दार्जिलिंग की पहाड़ियों में झोरा तकनीक से होता है मछली पालन, पढ़ें कैसे काम करती है यह प्रणाली

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मछली पश्चिम बंगाल के लोगों का पसंदीदा खाना है. यहां पर बड़े पैमाने में मछलीपालन (Fish Farming) किया जाता है. खास कर दार्जिलिंग और कलिम्पोंग के पहाड़ी इलाकों में अमूमन हर घर के आंगन में एक सीमेंट के टैंक में मछली पालन किया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में झोरा (Jhora) कहा जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इससे उन परिवारों को पर्याप्त मात्रा में नियमित तौर पर प्रोटीन मिलता है, साथ ही परिवारों के लिए अतिरिक्त आय़ का एक बेहतर स्त्रोत भी यह बन रहा है. 1980 के दशक में यहां पर इस झोरा तकनीक से मछली पालन की शुरुआत की गयी थी. फिलहाल यहां पर पांच हजार झोरा बने हुए हैं.

पहाड़ी क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए और ऊंचाई वाले जगहों में मछलियों के विकास पर अध्ययन करने के लिए सरकार ने डिमोन्सट्रेशन को लिए नौ सीमेंट टैंक (Cement Tank) का निर्माण किया था. इसके बाद इसें मछली पालन शुरू किया गया था. इन परिस्थितियों में अच्छी तरह से पनपने वाली आर्थिक रूप से व्यवहार्य प्रजातियों का चयन किया गया. इस अध्ययन के जो परिणाम आए वो काफी उत्साहजनक थे. नौ महीने के बाद प्रत्येक झोरा तालाब से लगभग 100-120 किलोग्राम टेबल फिश काटा गया. उत्पादन ने प्रशासन को पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर मछली पालन शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया और स्थानीय लोगों को तालाब निर्माण के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी सहायता प्रदान की गई.

ठंडे पानी में होता है मछली पालन

झोरा मछली पालन एक ऐसी तकनीक है जिसमें पहाड़ों बहने वाले बारहमासी झरने के पानी द्वारा मछली पालन के लिए बनाए गए कृत्रिम टैंकों में मछली पालन किया जाता है. यह ठंडे पानी की मछली पालन का एक अनूठा रूप है, जो – भारत में – केवल दार्जिलिंग और कलिम्पोंग की बर्फ से ढकी पहाड़ियों में होता है. यह तकनीक दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करते हैं. इस तकनीक से तहत किसान जमीने के एक छोटे हिस्से का चयन करने हैं जो भूमि की उपलब्धता के आधार पर किया जाता है.

पहाड़ों से 24 घंटे मिलता है पानी

एक वेबसाइट के मुताबिक कलिम्पोंग के एक झोरा मछली किसान सरद राय बताते हैं कि टैंक से कुछ मीटर दूर बहने वाली पहाड़ी धाराओं से जुड़े लंबे पाइपों की मदद से टैंक में पानी की आपूर्ति की जाती है. पानी चौबीसों घंटे निर्बाध रूप से बहता है, जो ऑक्सीजन के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है. इसके अलावा, टैंक में एक छोटा आउटलेट भी बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अतिरिक्त पानी निकल जाए. छोड़ा गया पानी, जिसमें मछली का कचरा होता है, कृषि-खेती को समृद्ध जैविक चारा प्रदान करता है.

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