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तरबूज की खेती से लाखों रुपए कमा रहे झारखंड के किसान, फेस्टिवल आयोजित करने का प्लान

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झारखंड में किसान अब बड़े पैमाने पर तरबूज की खेती (Watermelon Farming) करने लगे हैं. पिछले कुछ सालों से झारखंड में तरबूज की खेती ट्रेंड कर रही है. काफी संख्या में किसान अब तरबूज की खेती को (Tarbuj Ki Kheti)अपना रहे हैं औऱ अच्छी कमाई कर रहे हैं. इसी तरह रांची जिले के कनौज गांव के किसान देविया उरांव ने चार साल पहले तरबूज की खेती को अपनाया और आज वो एक समृद्ध किसान (Farmer) हैं. अब वो हर साल तरबूज की खेती करते हैं इसके अलावा उनकी खेती का दायरा अब बढ़ रहा है. वो सिर्फ ऐसी सब्जियों की खेती (Vegetable Farming) करते हैं जिसमें अच्छा मुनाफा होता है. इस साल भी तरबूज बेचकर वो लाख रुपए से अधिक की कमाई कर चुके हैं.

कनौज गांव की भौगोलिक स्थिति खेती के लिए बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि यह गांव ऊंचाई पर बसा हुआ है. इसलिए गांव में सिंचाई की समस्या होती है. इसके बावजूद यहां के अधिकांश परिवार खेती के जरिए ही अपनी आजीविका चलाते हैं. एक दशक पहले तक यहां के किसान सिर्फ पांरपरिक खेती ही करते थे. साल में दो से तीन फसल की उगाते थे, पर अब सालों भर यहां के खेत हरे-भरे दिखाई देते हैं. किसान पहले से अधिक जागरूक हो रहे हैं. ड्रिप इरिगेशन प्रणाली ने गांव के किसानों की तकदीर बदल दी है. ड्रिप इरिगेशन प्रणाली के जरिेए यहां के किसान सब्जियों की खेती करते हैं और अच्छी कमाई भी करते हैं.

राज मिस्त्री का काम करते थे देविया उरांव

देवियां उरांव खेतीहर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. घर में बचपन से खेती-बारी होते देख कर बड़े हुए. पर उस वक्त उसमें कमाई होता नहीं देख राज मिस्त्री का काम करने लगे. इसके बाद उन्होंने महसूस किया की यह काफी तनाव वाला काम है क्योकि इस बीच वो घर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट भी लेते थे. ऐसे में उन्हें कई बार परेशानी का सामना करना पड़ता था क्योंकि कई बार मजदूर सही समय से नहीं मिल पाने के कारण काम में देरी होती थी और बात सुनना पड़ता था. इसके बाद उन्होंने इस काम को छोड़ने का मन बनाया और फिर खेती बारी में आ गये.

मटर और फूलगोभी से की शुरुआत

देविया उरांव ने राजमिस्त्री का काम छोड़ने के बाद जब खेती की शुरुआत की तो उन्होंने सबसे पहले फूलगोभी और मटर लगाया. इससे उन्हें अच्छी कमाई हुई और अपने आस-पास की जमीन को लीज में लेकर खेती करने लगे. उन्होंने मटर औऱ फूलगोभी के अलावा मूली की खेती भी की और अच्छे पैसे कमाए. सिंचाई के लिए मनरेगा की तरफ से एक कुआं उनके खेत में बनाया गया है. इसके बाद उन्होंने अपनी डेढ़ एकड़ जमीन में ड्रिप इरिगेशन भी लगवाया है. जिसमें वो तरबूज और स्ट्रॉबेरी की खेती करते हैं. फिलहाल उनके खेत में स्वीट कॉर्न भी लगा हुआ है. उन्हें उम्मीद है कि इसके जरिए वो अच्छी कमाई कर पाएंगे.

लॉकडाउन के दौरान भी नहीं हुआ घाटा

देविया बताते हैं कि कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान जब तरबूज किसानों को नुकसान हुआ था उस दौरान भी वो मुनाफे में रहे क्योंकि उनकी फसल खेत में बर्बाद नहीं हुई. उन्होने कहा कि वो ल़ॉकडाउन के दौरान वो खुद अपनी मोटरसाइकिल में गांव-गांव घूमकर तरबूज बेचते थे. इसलिए उन्हें नुकसान नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि वो खेतों में अधिकांश जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं. केमिकल यूरिया और डीएपी का प्रयोग ना के बराबर होता है. जल्द ही वो पूर्ण जैविक खेती करना शुरू करेंगे.

तरबूज फेस्टिवल आयोजित करने की योजना

कृषि विभाग झारखंड की निदेशक निशा उरांव बतातीं हैं कि तरबूज खेती को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में जल्द ही तरबूज फेस्टिवल आयोजित करने की योजना विभाग द्वारा बनायी जा रही है. इसमें एक तरबूज के किसान और खरीदार एक मंच पर आएंगे. इससे राज्य के किसानों को फाय़दा होगा, साथ ही तरबूज की खेती के बढ़ावा दिया इससे और किसान जुड़ेंगे और उनकी कमाई बढ़ेगी.

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