दिल्ली बीजेपी (BJP) के प्रवक्ता तजिंदर पाल सिंह बग्गा (Tajinder Pal Singh Bagga)को पंजाब पुलिस (Punjab Police) ने राष्ट्रीय राजधानी स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया है. बग्गा पर भड़काऊ बयान देने, दुश्मनी को बढ़ावा देने और आपराधिक धमकी देने के आरोप लगे हैं. पंजाब पुलिस ने मोहाली में एक व्यक्ति की शिकायत पर पिछले महीने यह मामला दर्ज किया था. पंजाब पुलिस ने बग्गा की गिरफ्तारी में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को इनवॉल्व नहीं किया. इस मामले में दिल्ली पुलिस ने जनकपुरी थाने में किडनैपिंग का केस दर्ज किया है. खबर है कि इसके खिलाफ पंजाब पुलिस हाईकोर्ट जा सकती है. वहीं बग्गा को दिल्ली से मोहाली ले जाने के क्रम में हरियाणा पुलिस ने कुरुक्षेत्र में पंजाब पुलिस को रोक लिया है. ये सब आज ही का घटनाक्रम है, जो नाटकीय ढंग से और काफी तेजी से हुआ है.
अब देखिए कि पंजाब में आम आदमी पार्टी का शासन है, जबकि दिल्ली और हरियाणा में बीजेपी का. दोनों ही पार्टियों की ओर से एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए जा रहे हैं. इस घटनाक्रम को सियासी नजरिये से देखें तो पावर और पॉलिटिक्स को लेकर काफी कुछ समझ में आ जाता है. लेकिन राजनीति से इतर हम इस पूरे मामले को कानूनी नजरिये से समझने की कोशिश करेंगे.
इस पूरे घटनाक्रम से कुछ जरूरी सवाल उठते हैं.
क्या एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में किसी को गिरफ्तार कर सकती है?
अगर हां तो क्या लोकल पुलिस को साथ लेना या इनफॉर्म करना जरूरी नहीं होता?
इस प्रक्रिया में स्थानीय कोर्ट की क्या भूमिका होती है?
क्या किसी आरोपी को गिरफ्तार कर अपने राज्य ले जाते समय दूसरे राज्य की पुलिस रोक सकती है?
क्या बिना सूचना गिरफ्तारी के बाद दूसरे राज्य की पुलिस के खिलाफ अपहरण का मामला बनता है?
आइए इन बिंदुओं को कानूनी नजरिये से समझते हैं.
पंजाब पुलिस द्वारा दिल्ली पुलिस को बताए बगैर गिरफ्तारी
पंजाब पुलिस ने पिछले महीने मोहाली में दर्ज कराए गए एक मामले में तजिंदर सिंह बग्गा को दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया. क्या पंजाब पुलिस को दिल्ली पुलिस को इनफॉर्म नहीं करना चाहिए था? इस सवाल पर आईजी रैंक के IPS अधिकारी विकास वैभव ने बताया कि सामान्यत: ऐसी परिस्थितियों में लोकल पुलिस को इनफॉर्म करना जरूरी होता है. खासकर उन मामलों में जहां विधि-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना हो, वहां दूसरे राज्य की पुलिस संबंधित जिले के एसपी को सूचना देकर लोकल थाने की पुलिस को साथ रखती है. वहीं संदेहास्पद परिस्थितियों में ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था होती है.
लोकल पुलिस पर भरोसा न हो तो…?
अगर दूसरे राज्य की पुलिस को स्थानीय पुलिस पर भरोसा न हो या कोई सूचना लीक होने की संभावना हो तो… इस सवाल पर आईपीएस विकास ट्रांजिट रिमांड की व्यवस्था के बारे में बताते हैं. लोकल पुलिस को सूचना दिए बगैर गिरफ्तारी की जा सकती है और फिर कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड लेकर आरोपी को अपने साथ ले जाया जा सकता है. बिहार-झारखंड-बंगाल में दो दशक से भी ज्यादा समय तक क्राइम रिपोर्टिंग कर चुके राकेश पुरोहितवार बताते हैं कि हो सकता है कि इस मामले में पंजाब पुलिस को दिल्ली पुलिस पर भरोसा न हो!
वे कहते हैं कि कई बार देखा गया है कि अपराधियों या आरोपियों संग स्थानीय पुलिस की मिलीभगत होती है. ऐसे में दूसरे राज्य की पुलिस को संदेह होता है कि कहीं उनकी सूचनाएं लीक न हो जाए और आरोपी फरार न हो जाए तो वह लोकल पुलिस को इनवॉल्व नहीं करती. ऐसे मसलों में बिना सूचना दिए भी गिरफ्तारी की जा सकती है, लेकिन संबंधित क्षेत्र के कोर्ट में आरोपी को सक्षम मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करना होता है और फिर ट्रांजिट रिमांड लेनी होती है.
क्या होता है ट्रांजिट रिमांड?
पुरोहितवार बताते हैं कि संदेहास्पद परिस्थितियों में लोकल पुलिस को इनफॉर्म किए बगैर भी गिरफ्तारी की जा सकती है. लेकिन जिस क्षेत्र में गिरफ्तारी की गई है, वह क्षेत्र जिस न्यायालय के अधीन आता है, वहां आरोपी को प्रस्तुत करना जरूरी होता है. सक्षम न्यायालय से ट्रांजिट रिमांड ली जाती है.
न्यायालय यह देखता है कि आरोपी को गिरफ्तारी क्षेत्र से दूसरे राज्य के संबंधित थाने तक ले जाने में कितना समय लग सकता है. और भी कुछ अन्य बिंदुओं को आधार बनाते हुए न्यायालय ट्रांजिट रिमांड जारी करता है. इसी ट्रांजिट रिमांड के आधार पर दूसरे राज्य की पुलिस गिरफ्तार किए गए आरोपी को अन्य राज्यों से गुजरते हुए भी अपने राज्य ले जा सकती है. फिर अपने राज्य ले जाकर वहां के न्यायालय में आरोपी को प्रस्तुत करना होता है.
क्या अपहरण का केस किया जा सकता है?
तजिंदर सिंह के मामले में दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया है. राकेश बताते हैं कि अगर पंजाब पुलिस ने संबंधित कानूनी प्रक्रियाएं नहीं अपनाई होगी तो दिल्ली पुलिस को यह अधिकार है कि उसके खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर सके. बशर्ते नियम-कानून का पालन न किया गया हो. जैसे कि अगर पंजाब पुलिस ने आरोपी को कोर्ट में प्रस्तुत कर ट्रांजिट रिमांड न इशू कराया हो तो अपहरण का केस किया जा सकता है.
हरियाणा पुलिस ने रास्ते में क्यों रोका?
तजिंदर सिंह बग्गा को दिल्ली से मोहाली ले जाते वक्त हरियाणा पुलिस ने कुरुक्षेत्र में पंजाब पुलिस को रोक दिया और पूछताछ शुरू कर दी. पंजाब पुलिस की गाड़ी रोकने पर हरियाणा पुलिस ने अपने बयान में कहा है कि दिल्ली पुलिस की ओर से सूचना मिलने के बाद उन्होंने गाड़ी रोकी है. इस मसले पर जानकार बताते हैं कि पंजाब पुलिस के पास कोर्ट क्षरा जारी ट्रांजिट रिमांड होती तो हरियाणा पुलिस पंजाब पुलिस को नहीं रोक पाती. बहरहाल पंजाब पुलिस ने इस मसले पर हरियाणा के डीजीपी से संपर्क कर रही है.
अब एक ऐसा ही वाकया जान लीजिए
संभवत: साल 2006 की घटना होगी. बिहार से झारखंड अलग होने के कारण राज्य पुलिस का क्षेत्राधिकार सीमित था. राकेश बताते हैं कि शेखपुरा कोर्ट में तत्कालीन सांसद राजो सिंह की हत्या कर दी गई. पिंटू महतो और पप्पू महतो पर हत्या के आरोप लगे. दोनों झारखंड के देवघर में जा छिपे थे. बिहार पुलिस ने देवघर में छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर लिया. लोकल पुलिस को सूचना दिए बगैर. बिहार पुलिस चुपचाप आरोपियों को उठाकर ले जा रही थी. देवघर पुलिस ने सख्ती दिखाई और बिहार पुलिस को फोन कर कहा कि आरोपियों को वापस लाइए, नहीं तो अपहरण का केस दर्ज किया जा सकता है. आखिरकार बिहार पुलिस को आधे रास्ते से वापस लौटना पड़ा.
राकेश बताते हैं कि ऐसे मसलों में कई बार पुलिस पचड़े से बचने के लिए आरोपी को दूसरे राज्य से चुपचाप उठाती है और अपने राज्य में ले आकर गिरफ्तारी शो कर देती है. राकेश ने कहा कि दो राज्यों ही नहीं, बल्कि एक राज्य में दो जिलों के बीच भी उन्होंने ऐसी कई घटनाएं देखी है, जब पड़ोस के जिले से आरोपी को उठाकर अपने जिले में गिरफ्तारी शो कर दी गई.
बहरहाल अब खबर है कि बिहार-झारखंड वाले मामले की तरह इस केस का भी यही अंजाम होने जा रहा है. दिल्ली पुलिस तजिंदर सिंह बग्गा को वापस दिल्ली लेकर आ रही है. शुक्रवार की सुबह करीब 9 बजे बग्गा की गिरफ्तारी हुई थी और कुछ ही घंटों के भीतर दोपहर करीब साढ़े तीन बजे दिल्ली पुलिस की टीम हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेसर सदर थाने से बीजेपी नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी है.