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डराने वाली चेतावनी! झुलसाने वाली गर्मी से नहीं मिलेगी राहत, हर 4 साल में सताएगा बढ़ा तापमान, जानिए क्यों होंगे ऐसे हालात

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मौसम विशेषज्ञों ने गर्मी को लेकर चेतावनी जारी की है. विशेषज्ञों के मुताबिक, उत्तर पश्चिम भारत और पश्चिम में चल रही हीटवेव (Heat Wave) अगले 4 से 5 दिनों में देश के बड़े हिस्से में फैल जाएगी. इस दौरान देश भर में गर्मी का प्रकोप और बढ़ जाएगा. बीता मार्च का महीना भारत के लिए सबसे गर्म महीना था. विशेषज्ञों ने कहा कि यह जलवायु संकट (Climate Crisis) के प्रभावों का एक और संकेत है. यह करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है. कोयले और अन्य ईंधन (coal and fuel) जलाने के कारण वर्तमान हीटवेव जलवायु परिवर्तन के चलते और गर्म हो गई है. बता दें कि मार्च में पृथ्वी के दोनों ध्रुवीय क्षेत्रों (Polar regions) ने गर्मी की लहरों का सामना किया. इस दौरान अंटार्कटिका में तापमान औसत से 4.8 डिग्री सेल्सियस गर्म था, जबकि आर्कटिक में औसत सामान्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस अधिक था.

इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट में जलवायु विज्ञान के वरिष्ठ व्याख्याता फ्रेडरिक ओटो का कहना है कि प्रशांत महासागर, ला नीना में असामान्य प्रभाव पड़ें हैं. बता दें कि ला नीना एक ऐसी स्थिति है, जब पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम होता है. इस दौरान यह पवन प्रणाली को बदल देता है. यह आम तौर पर सर्दी, कुछ गर्मी पैदा कर के भारत में मानसून लाता है. लेकिन इस साल बसंत के मौसम में यह प्रक्रिया नहीं हुई, जिससे गर्मी बहुत जल्द शुरू हो गई है.

आने वाले चार साल में कैसी होगी स्थिति?

इंपीरियल कॉलेज लंदन के ग्रांथम इंस्टीट्यूट के शोध सहयोगी मरियम जकारिया ने कहा कि भारत में जलवायु परिवर्तन से उच्च तापमान अधिक होने की संभावना थी. मानव गतिविधियों के वैश्विक तापमान में वृद्धि से पहले, हमने इस महीने की शुरुआत में भारत में आने वाली गर्मी को देखा. हम हर चार साल में एक बार इस तरह के उच्च तापमान की उम्मीद कर सकते हैं और जब तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन जारी रोक रहेगा, यह और भी सामान्य होता रहेगा.

ये दो राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा कि यह घटना ज्यादातर नम सर्दियों से जुड़ी है. इसलिए, भारत में वसंत और गर्मी के दौरान ला नीना का वर्तमान प्रभाव पूरी तरह से अप्रत्याशित है. सीएसई द्वारा विश्लेषण किए गए आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार 2022 की शुरुआती गर्मी की लहरें 11 मार्च को शुरू हुईं और 24 अप्रैल तक इसने 15 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया. इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं.

उत्तर और पूर्वी भारत के बड़े क्षेत्रों में बढ़ेगी गर्मी

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव एम राजीवन का कहना है, यह बेहद असामान्य है. इस साल मार्च में एक बड़े क्षेत्र में हीटवेव जल्दी शुरू हुई. अब अगले दो हफ्तों के दौरान उत्तर और पूर्वी भारत के बड़े क्षेत्रों में भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है. यह स्थानीय मौसम के कारण नहीं हो सकता है. इसके विश्लेषण की आवश्यकता है. हालांकि राजीवन ने कहा कि इससे मानसून प्रभावित नहीं हो सकता है. शुक्र है, इस साल अल नीनो (जो मानसून को कम करता है) का हम पर असर पड़ने की संभावना नहीं है.

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