आने वाले वक्त में भारत खुद की जरूरतें पूरी करने और निर्यात के लिए बैटरी स्टोरेज, ग्रीन हाइड्रोजन, ग्रीन अमोनिया की बड़ी क्षमता विकसित करेगा. यह बात भारत ने जर्मनी के साथ हाल ही में हुई गोलमेज बैठक के वक्त बताई. इसकी पुष्टि भारत के केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह (Union Power Minister R K Singh) ने भी की. इसी के साथ भारत ने जर्मन ऊर्जा कंपनियों (German Energy Companies) को निवेश करने का न्योता भी दिया है. आने वाले वक्त में भारत अपतटीय पवन ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर भी बना रहा है. भारत अपतटीय पवन (समुद्र में हवा से उत्पन्न ऊर्जा) से करीब 30,000 मेगावाट ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए खुद को सक्षम मानता है. मतलब आने वाले वक्त में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के लिए दुनिया में भारत के सबसे बड़े और आकर्षक स्थान बने रहने की प्रबल संभावानाएं हैं.
मंगलवार को भारत के केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने इन तमाम उपलब्धियों की पुष्टि खुद की. उन्होंने आगे बताया कि, जर्मनी की प्रमुख ऊर्जा कंपनियों के साथ भारत में अपने विस्तार के बारे में वर्चुअल गोलमेज बैठक भी आयोजित की गई. जिसके जरिए सभी प्रमुख जर्मन ऊर्जा कंपनियों को भारत में आकर निवेश के लिए न्योता दिया गया. इस गोलमेज बैठक में केंद्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार, संयुक्त सचिव एमएनआरई डॉ. वंदना कुमार और भारत और जर्मनी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. केंद्रीय उर्जा मंत्री आर. के. सिंह ने इस बात पर जोर डाला कि, भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्य के रूप में उभरा है. भारत ने क्षमता वृद्धि और ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने के लिए कई विशेष कार्यक्रमों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया है.
भारत के पास पहले से ही दुनिया में सबसे बड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मौजूद है. साथ ही भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की दर भी सबसे तेज है. बैठक में मौजूद केंद्रीय उर्जा मंत्री का इस बात पर जोर देखा गया कि, भारत अपनी जरूरतों के लिए बैटरी स्टोरेज, ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया बड़ी क्षमता विकसित करेगा. साथ ही हम बढ़ती वैश्विक मांग को भी पूरा करेंगे. मतलब आने वाले वक्त में भारत दुनिया में ग्रीन हाइड्रोजन के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक होगा. इस अवसर पर जर्मन कंपनियों को सूचित किया कि,भारत सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर ग्रीन हाइड्रोजन का निर्माण जल्दी ही करने की तैयारी में जुटा है. गोलमेज बैठक के दौरान, जर्मन कंपनियों को बताया कि भारत की योजना, अपतटीय पवन (समुद्र में हवा से उत्पन्न ऊर्जा) क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर पैदा करना है.
पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत इनोवेशन का स्वागत करता है
भारत अपने यहां 30,000 मेगावाट अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता हासिल करने के लिए तैयार है. केंद्रीय उर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आगे कहा कि, उच्च दक्षता वाले सौर सेल और मॉड्यूल के निर्माण में भाग लेने और प्रतिस्पर्धा करने के लिए जर्मन कंपनियों का स्वागत है. जिनसे भारत 50,000 मेगावाट क्षमता स्थापित करने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत इनोवेशन का स्वागत करता है. बैठक में कई उभरते हुए सुनहरे अवसरों पर भी खुलकर चर्चा हुई. भारत कहना था कि यहां पूरी तरह से सुलभ बाजार, सुविधाजनक नीतियां और एक सक्षम नियामक पारिस्थितिकी तंत्र मौजूद है. जिसका लाभ वक्त रहते हर किसी को लेना चाहिए. गोलमेज बैठ में, जर्मनी को ऊर्जा परिवर्तन के रास्ते पर बड़ी मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन और हरी अमोनिया का आयात करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया.
भारत और जर्मनी ने संयुक्त घोषणा-पत्र पर किए हस्ताक्षर
इसके लिए जर्मनी को भारत से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आमंत्रित भी किया गया. इस अवसर पर केंद्रीय उर्जा मंत्री आर. के. सिंह और जर्मन आर्थिक मामलों व जलवायु परिवर्तन मंत्री ने, इंडो-जर्मन हाइड्रोजन टास्क फोर्स पर एक संयुक्त घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर भी किए. जोकि अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है. समझौते के तहत दोनों देश परियोजनाओं, विनियमों और मानकों, व्यापार और संयुक्त अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए सक्षम ढांचे के निर्माण के माध्यम से, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग, भंडारण और वितरण में आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए एक इंडो-जर्मन ग्रीन हाइड्रोजन टास्क फोर्स की स्थापना करेंगे.