आंध्र प्रदेश की राजनीति में पिछले पांच वर्षों में बड़ा बदलाव आया है। लोगों की नजरें टेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) पर थीं कि इसका समय समाप्त हो गया है, लेकिन हाल ही के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी का बड़ा उतार-चढ़ाव देखा गया। टीडीपी के सुप्रीमो, चंद्रबाबू नायडू ने इस कमबैक में बड़ा योगदान दिया है। उनकी जीत एक फिल्मी कहानी की तरह है, जिसमें नायक के रूप में उन्होंने राजनीतिक दल को पुनः सफलता की दिशा में ले जाया।
चंद्रबाबू नायडू के संबंध भारतीय सिनेमा के विश्वप्रसिद्ध परिवार से हैं, जिसके विशेषज्ञ में वे दामाद हैं। उनका ससुर, एनटी रामा राव, दक्षिण भारतीय सिनेमा के एक प्रमुख स्टार थे। जबकि चंद्रबाबू नायडू कभी सिनेमा में अभिनय नहीं किया, लेकिन उनका गहरा नाता राजनीतिक जगत से है। उनके ससुर NT रामा राव ने टीडीपी की स्थापना की थी और उनके साथ ही चंद्रबाबू नायडू ने भी पार्टी में अहम भूमिका निभाई है।
चंद्रबाबू नायडू की पत्नी, नारा भुवनेश्वरी, एक प्रमुख नाम हैं तेलुगु सिनेमा और राजनीति में। वे टीडीपी के संस्थापक NT रामा राव की बेटी हैं और अपने जीवन में उत्तम उपलब्धियों को हासिल किया हैं। वह राजनीति में सक्रिय हैं, साथ ही उन्होंने बिजनेस में भी अपना मार्ग बनाया है, हेरिटेज फूड्स कंपनी के काफी हिस्सेदार भी हैं।
चंद्रबाबू नायडू और भुवनेश्वरी की मुलाकात राजनीतिक सफर के दौरान हुई थी। उन्होंने एक-दूजे को पसंद किया और विवाह का निर्णय लिया। 1981 में दोनों ने विवाह किया। चंद्रबाबू नायडू और भुवनेश्वरी के एक बेटा है, जिनका नाम नारा लोकेश है। नारा लोकेश भी राजनीति और व्यापार में सक्रिय हैं।
चंद्रबाबू नायडू NT रामा राव की बेटी भुवनेश्वरी के पति हैं, और इस तरह उनके दामाद भी हैं। उनके ससुर NT रामा राव के बेटे, जूनियर एनटीआर, के बेटे हैं और इस तरह उनके नाते हैं। इसी कारण वे NT रामा राव के पोते भी हैं। इस वजह से नारा भुवनेश्वरी को जूनियर एनटीआर की बुआ माना जाता है, और चंद्रबाबू नायडू, उनके पति होने के नाते, उनके सगे फूफा कहलाते हैं। इन दोनों परिवारों के बीच अच्छा संबंध है, जिससे वे साथ में काम करने में सक्षम हैं।