गुवाहाटी हाई कोर्ट (Gauhati High Court) ने राष्ट्रीयता (nationality) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिशानिर्देश का हवाला देते हुए हाल के एक आदेश में फैसला सुनाते हुए कहा कि एक व्यक्ति जिसने ये साबित कर दिया है कि वो विदेशी ट्रिब्यूनल में एक भारतीय नागरिक है, उससे उसकी नागरिकता के बारे में फिर से सवाल नहीं किया जा सकता है. 11 याचिकाओं का निपटारा करते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट की एक विशेष पीठ ने पिछले महीने 28 अप्रैल को नागरिक प्रक्रिया संहिता (1908) की धारा 11 का हवाला देते हुए कहा था कि एक व्यक्ति जिसे विदेशी ट्रिब्यूनल की कार्यवाही में एक बार भारतीय नागरिक घोषित किया गया है, उसे फिर साबित करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. साथ ही कहा कि इन अदालतों के लिए रेस ज्यूडिकाटा का सिद्धांत लागू होता है.
विशेष पीठ ने लिखा कि सिविल प्रक्रिया संहिता (1908) की धारा 11 के तहत न्यायिक न्याय के सिद्धांत को एक सार्वजनिक नीति के रूप में स्वीकार किया जाता है, जिसे सुप्रीम कोर्ट की ओर से मान्यता दी गई है. सिद्धांत के अनुसार एक बार पूरी जांच के बाद पार्टियों के बीच किसी मामले में सक्षम अदालत की ओर से दिए गए फैसले को फिर से उत्तेजित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
अमीना खातून बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामला
साल 2018 में अमीना खातून बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में गुवाहाटी हाई कोर्ट की एक अन्य पीठ ने कहा था कि रेस ज्यूडिकाटा विदेशी ट्रिब्यूनल के सामने कार्यवाही में लागू नहीं है, क्योंकि विदेशी ट्रिब्यूनल अर्ध-न्यायिक निकाय हैं और साथ ही कहा कि उचित अदालतें नहीं है. लेकिन वहीं साल 2019 में अब्दुल कुड्डस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी ट्रिब्यूनल मामलों में रेस ज्यूडिकाटा की प्रयोज्यता पर विचार किया.
न्यायमूर्ति एन कोटेश्वर सिंह और न्यायमूर्ति नानी तगिया की अध्यक्षता वाली गुवाहाटी हाई कोर्ट की एक विशेष पीठ ने 2018 और 2021 के बीच पेश 11 रिट याचिकाओं पर सुनवाई की, जिसमें इस तरह के मुद्दे थे कि क्या ऐसे व्यक्ति, जिन्होंने एक बार विदेशी ट्रिब्यूनल में अपनी पहचान साबित कर दी थी, उन्हें फिर से नोटिस मिलना चाहिए. हाई कोर्ट के जजों ने अमीना खातून और अब्दुल कुद्दस मामलों के पिछले फैसलों की तुलना की और पाया कि खातून के मामले का अब हाई कोर्ट की ओर से पालन नहीं किया जा सकता है क्योंकि कुड्डू मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक अलग दृष्टिकोण रखा था.