City Headlines

Home Uncategorized गढ़वाल दौरे के जरिए लोकसभा चुनाव-2024 को साधने में जुटे करण माहरा, कांग्रेस के हिंदू विरोधी ईमेज को भी बदलने के लिए करेंगे बद्री-केदार के दर्शन

गढ़वाल दौरे के जरिए लोकसभा चुनाव-2024 को साधने में जुटे करण माहरा, कांग्रेस के हिंदू विरोधी ईमेज को भी बदलने के लिए करेंगे बद्री-केदार के दर्शन

by

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Elections) में कांग्रेस को मिली बड़ी हार के बाद कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा अब गढ़वाल क्षेत्र के दौरे पर हैं. वह गढ़वाल का दौरा खत्म करने के बाद कुमाऊं के दौरे पर भी जाएंगे. करण माहरा की ये पूरी कवायद राज्य में संगठन को फिर से बीजेपी (BJP) के मुकाबले खड़ा करने को लेकर है. ताकि पार्टी कार्यकर्ताओं को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections-2024) के लिए तैयार किया जा सके. अपने दौरे के जरिए माहरा कार्यकर्ताओं में उत्साह फूंकने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके टूट चुके आत्मविश्वास को फिर से जगाया जा सके. राज्य में कांग्रेस की विधानसभा चुनावों में दूसरी हार हुई है और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी एक सीट नहीं जीत पायी थी. जिसके कारण कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं का उत्साह कम हो गया है और वह पार्टी के कार्यक्रमों में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. फिलहाल करण माहरा के सामने गढ़वाल क्षेत्र में नाराज नेताओं को मनाना पहली प्राथमिकता है. क्योंकि राज्य में कांग्रेस आलाकमान द्वारा तीन अहम पद कुमाऊं के नेताओं को देने के बाद गढ़वाल क्षेत्र में बगावत की भी आशंका व्यक्त की जा रही है.

अपनी दौरों से माहरा ने अपने एजेंडे को साफ कर दिया है. माहरा का पूरा फोकस राज्य में गुटबाजी खत्म करने के साथ ही कार्यकर्ताओं को फिर से एकजुट करना है. वह पार्टी की उस ईमेज को भी बदलना चाहते हैं. जिसके कारण विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. माहरा गढ़वाल दौरे में केदानाथ धामी और बद्रीनाथ के दर्शन कर पूजा अर्चना करेंगे. मंदिर दर्शन के जरिए वह राज्य की जनता को संदेश देना चाहती हैं पार्टी मुस्लिम तुष्टिकरण में विश्वास नहीं रखती है. अपने गढ़वाल दौरे में माहरा उन नेताओं को भी मनाने की कोशिश करेंगे. जो कांग्रेस आलाकमान के फैसले के बाद घरों में बंद हैं. कांग्रेस आलाकमान ने इसी महीने राज्य में प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के पदों पर नियुक्ति की. खास बात ये है कि इन तीनों ही पदों पर कुमाऊं क्षेत्र के नेताओंको नियुक्त किया गया. जबकि गढ़वाल से एक भी नेता को अहम माने जाने वाले इन पदों पर नियुक्त नहीं किया गया. जिसके बाद गढ़वाल क्षेत्र के नेता पार्टी आलाकमान पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं. जिसके बाद पार्टी के नए अध्यक्ष करण माहरा ने शुक्रवार यानी 28 अप्रैल से गढ़वाल का दौरा करने का फैसला किया. ताकि स्थानीय स्तर पर नेताओं से बैठककर उनकी नाराजगी को दूर किया जा सके और इसके बाद संगठन में स्थानीय नेताओं को जगह दी जा सके. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि राज्य में कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है. राज्य में चुनाव के दौरान भी गुटबाजी देखने को मिली थी. जिसका सीधा असर कांग्रेस के प्रदर्शन पर देखने को मिला था और पार्टी के दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए थे.

मंदिर दर्शन के जरिए कांग्रेस की ईमेज बदलने की कोशिश

राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को कई मुद्दों के कारण हार का सामना करना पड़ा था और इसमें सबसे अहम मुद्दा मुस्लिम तुष्टिकरण था. राज्य में बीजेपी ने कांग्रेस के मुद्दों को रणनीतिक तौर पर उठाया और कांग्रेस को वह हिंदू विरोधी साबित करने में सफल रही. लिहाजा करण माहरा अपने गढ़वाल दौरे के दौरान केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन कर हिंदू वोटरों को भी संदेश देना चाहते हैं. माहरा 6 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के मौके पर धाम की पूजा-अर्चना करेंगे और उसके बाद गुप्तकाशी जाएंगे. इसके बाद वह जोशीमठ जाएंगे और वहां से बदरीनाथ धाम के दर्शन करेंगे. अगर देखें तो करण माहरा की पूरी कवायद कांग्रेस के मुस्लिम समर्थक ईमेज को हटाना है.

निकाय चुनाव के बजाए लोकसभा चुनाव पर फोकस

अगर बात उत्तराखंड के निकाय चुनाव की करें तो 2018 के चुनावों में बीजेपी ने इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया और अब बीजेपी दोबारा सत्ता में आ रही है और राज्य में 2023 में चनिकाय चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस को निकाय चुनाव से ज्यादा उम्मीद नहीं है. क्योंकि ये कहा जाता है कि जिस दल की सरकार राज्य में होती है उसका निकाय चुनाव में प्रदर्शन अच्छा होता है. ऐसे में कांग्रेस निकाय चुनाव के बजाए लोकसभा चुनाव पर ज्यादा फोकस कर रही है. अगर आंकड़ों की बात करें तो 2018 के निकाय चुनाव में बीजेपी ने राज्य की सात में पांच नगर निगमों में मेयर के पद पर जीत दर्ज की. जबकि कांग्रेस के खाते में दो नगर निगम ही आए. इसके साथ ही नगर पंचायतों के अध्यक्ष पदों पर भी बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था और उसने 18 नगरों में जीत दर्ज की थी. जबकि कांग्रेस को सिर्फ सात और निर्दलियों को 12 जगह जीत मिली थी.

कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए हार का कारण ईवीएम को बता दे रहे हैं माहरा

राज्य के वरिष्ठ पत्रकार शंकर सिंह भाटिया कहते हैं कि राज्य में कांग्रेस के नए अध्यक्ष करण माहरा का पूरा फोकस संगठन को फिर से मजबूत करने पर है. क्योंकि पार्टी को लगातार चुनावों में हार मिली है. पार्टी लगातार दो विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव हारी है. जिसके कारण पार्टी के कार्यकर्ताओं को मनोबल गिरा हुआ है. भाटिया कहते हैं कि करण माहरा ने पहली बार राज्य में कांग्रेस की हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार बताया है. ऐसा कर उन्होंने कार्यकर्ताओं को ये संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी और कार्यकर्ताओं ने चुनाव में मेहनत की है. इसलिए निराश होने की जरूरत नहीं है.

Leave a Comment