देश भर के किसान (Farmers) अभी गेहूं की कटाई में लगे हुए हैं. रबी सीजन अपने अंतिम चरण में है और कुछ हफ्तों बाद किसान खरीफ सीजन की तैयारी में जुट जाएंगे. लेकिन कृषि लागत में हुई बेतहाशा वृद्धि किसानों के लिए चिंता का विषय बन गई है. पिछले एक साल में डीजल से लेकर खाद और बीज तक की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हुई है. बढ़ती महंगाई को देखते हुए किसानों का कहना है कि इस बार लेबर चार्ज भी दोगुना हो सकता है. वहीं गेहूं के ऊंचे भाव से हुई कमाई भी खरीफ सीजन में महंगाई के भेंट चढ़ जाने की आशंका है.
खेती-किसानी के मामले में प्रमुख राज्य पंजाब के किसानों का कहना है कि एक या दो कृषि संबंधित उत्पाद में बढ़ोतरी हुई होती तो ज्यादा असर नहीं पड़ता, लेकिन सभी चीजों के दाम बढ़ गए हैं. डीजल की कीमतों में हुई वृद्धि का असर सभी क्षेत्रों पर देखने को मिल रहा है. किसानों का कहना है कि चारों तरफ गेहूं की अच्छी कीमत की बात हो रही है. लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि तापमान में बढ़ोतरी का असर उत्पादन पर पड़ा है और पैदावार में 10 से 20 प्रतिशत की कमी आई है.
कीर्ति किसान यूनियन के उपाध्यक्ष राजिंदर सिंह दीपसिंहवाला ने द ट्रिब्यून से बातचीत में कहा कि किसान पहले से ही संकट में हैं. महंगाई के कारण उनकी कमाई पहले से घट गई है और आगामी फसल के लिए लागत में भारी बढ़ोतरी हो गई है. इस स्थिति के कारण किसान और लोन लेने के लिए मजबूर होंगे.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा असर
मानसा के रहने वाले एक किसन कुलवंत सिंह ने बताया कि धान बीज के दाम में 20 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है. कीटनाशकों की कीमत भी काफी बढ़ गई है. बढ़ी हुई लागत को देखते हुए किसान धान की खेती को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि महंगाई इतनी बढ़ गई है, लेकिन हमें नहीं लगता कि सरकार धान की एमएसपी में 100 रुपए की भी बढ़ोतरी करेगी.
पटियाला के एक किसान राम सिंह ने बताया कि सिर्फ खरीफ सीजन की चुनौतियां नहीं हैं. हम जैसे किसान जो पशुपालक हैं, उनके साथ चारा की समस्या आ गई है. सूखा चारा यानी भूसा का रेट दो से तीन गुना तक बढ़ गया है. इस सीजन में किसानों को 250 से 300 रुपए प्रति क्विंटल तक में भूसा मिल जाता था, लेकिन इस बार भाव 900 रुपए तक पहुंच गए हैं.
धान की रोपाई के लिए कृषि श्रमिकों की जरूरत होती है. किसानों का कहना है कि इस बार श्रम शुल्क में काफी बढ़ोतरी की उम्मीद है. पिछले साल श्रमिक प्रति एकड़ रोपाई के लिए 3000 से 3500 रुपए लेते थे, लेकिन इस बार यह 5000 तक पहुंच सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ी हुई महंगाई और कृषि खर्च में बढ़ोतरी का असर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.
किस चीज के कितने बढ़े दाम?
पिछले साल के मुकाबले DAP की कीमत में 150 रुपए की बढ़ोतरी हुई है.
एक साल में डीजल का दाम 20 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ गया है.
कीटनाशकों की कीमत प्रति लीटर 100 से 200 रुपए बढ़ी है.
धान के बीज में प्रति किलो 20 रुपए की बढ़ोदरी हुई है.
लेबर चार्ज 1000 रुपए प्रति एकड़ तक बढ़ने की संभावना है.