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खरबूज-तरबूज की खेती कर मालामाल हो रहे गाजीपुर के किसान

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खरबूज और तरबूज की खेती (Watermelon Farming) किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी पैदावार के लिए हल्की रेतीली बलुई मिट्टी मुफीद मानी जाती है. कुछ ऐसी ही स्थिति उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की है, क्योंकि गाजीपुर जनपद वाराणसी से लेकर बिहार के बक्सर तक गंगा के किनारे बसा हुआ है. जिसके कारण गंगा के किनारे इस फसल के लिए उपजाऊ रेतीली बलुई मिट्टी प्रचुर मात्रा में मिलती है. जिसकी वजह से किसान इस मिट्टी में खरबूज, तरबूज ,ककड़ी खीरा जैसी फसलों का जमकर उत्पादन कर रहे हैं. इन दिनों इन फसलों का दाम भी अच्छा है. खरबूज और तरबूज 40 रुपये किलो तक तो खीरा 30 रुपये किलो के रेट पर बिक रहा है. ऐसे में किसानों (Farmers) की अच्छी कमाई हो रही है.

गर्मी के मौसम यानी कि मार्च से लेकर जून और जुलाई तक खरबूजे की फसल के लिए अच्छा माना जाता है. इस दौरान पौधों को गर्म और आर्द्र मौसम मिल जाता है. गर्म मौसम में इसके पौधे अच्छे से बढ़ते हैं. लेकिन अधिक बारिश (Rain) पौधों के लिए हानिकारक होती है. इस खेती की शुरुआत में 25 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, तथा पौधों के विकास के लिए 35 से 40 डिग्री तापमान जरूरी होता है. जैसा कि इन दिनों है.

किसान कैसे कमाएंगे ज्यादा मुनाफा

इन दिनों जनपद में गंगा किनारे के इलाके, जैसे करंडा, मोहम्मदाबाद, भावर कोल आदि में रेतीले खेतों में किसान तरबूज, खरबूज और नाशपाती उगाकर अच्छी कमाई कर रहे हैं. माधुरी किस्म का तरबूज किसानों में ज्यादा लोकप्रिय है. क्योंकि यह कम समय में तैयार होने के कारण किसानों की पसंद बन चुकी है. वहीं कृषि विशेषज्ञों की मानें तो किसान मल्च विधि से तरबूज की बुवाई कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

कितनी होगी कमाई

कृषि विशेषज्ञों की बात माने तो तरबूज को अगर किसान परंपरागत खेती की बजाए मल्च लगाकर करें तो उसका खर्च 40 से 45 हजार प्रति एकड़ आएगा. एक एकड़ की फसल बेचने पर करीब डेढ़ लाख रुपये प्राप्त होंगे. खेती के लिए किसानों को 8 से 10 सिंचाई करनी पड़ती है. जबकि यदि वह मल्च विधि से खेती करें तो 4-5 सिंचाई काफी होती है. वहीं मल्च विधि से मोहमदाबाद इलाके में कई किसानों ने टमाटर की खेती की हुई है.

गाजीपुर ही नहीं दूसरी मंडियों में भी बेच पा रहे हैं किसान

किसी भी फसल की पैदावार का आधार उसकी किस्म भी होती है. अच्छी किस्म के तरबूजे का औसत उत्पादन 800-900 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है. मोहम्मदाबाद इलाके में तरबूज की खेती करने वाले किसानों को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal Expressway) की सौगात मिल जाने की वजह से उन्हें सिर्फ गाजीपुर की मंडियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा है. बल्कि अपनी फसल को प्रदेश के कई अन्य मंडियों तक भी कम खर्च में पहुंचा कर अधिक लाभ कमा रहे हैं.

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