वैक्सीनेशन पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा किसी भी इंसान को वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई करते हुए इसकी वजह आर्टिकल-21 को बताया. दरअसल, केंद्र सरकार ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट बताया था कि उसने कोरोना वैक्सीन को लोगों के लिए अनिवार्य नहीं किया है. केंद्र का पक्ष है कि उसने सिर्फ यही कहा था कि 100 फीसदी वैक्सीनेशन (Vaccination). तमिलनाडु के अतिरिक्त महाधिवक्ता अमित आनंद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र सरकार (Central Government) ने हमें निर्देश दिया था कि 100 फीसदी लोगों का वैक्सीनेशन होना चाहिए. इसी मामले पर सोमवार को सुनवाई हुई.
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या है आर्टिकल-21, जिसके तहत किसी भी भारतीय को वैक्सीन लगवाने के लिए बाध्य नहीं किया सकता, जानिए इसके बारे में
क्या है आर्टिकल-21?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आर्टिकल-21 के मुताबिक, किसी भी इंसान की शारीरिक अखंडता को बिना उसकी अनुमति के भंग नहीं किया जा सकता है. इसलिए भारत में वैक्सीनेशन को अनिवार्य नहीं किया जा सकता.
कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है, देश के किसी भी इंसान को उसके जीवन या उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता. न ही किसी व्यक्ति को भारत में कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित किया जाएगा। यह उनका मौलिक अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट के बयान से अगर अनुच्छेद 21 को समझा जाए कोई भी आम इंसान वैक्सीन लगवाने से इंकार भी कर सकता है. यानी उसे टीका लगवाने के लिए मजबूत नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने यह भी माना कि राज्य सरकारों और अन्य प्राधिकरणों द्वारा COVID-19 महामारी के खिलाफ वैक्सीन लगाने का आदेश उपयुक्त नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, पढ़ें 3 बड़ी बातें
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, सप्रीम कोर्ट का कहना है, कोई ऐसा डाटा नहीं पेश किया गया है जिससे यह पता चल सके कि वैक्सीन लगवाने वालों के मुकाबले इसे न लगवाने वाले लोगों से कोरोना के फैलने का खतरा अधिक है.
सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य हितों को ध्यान में रखते हुए प्रतिबंध तो लगा सकती है, लेकिन उन प्रतिबंधों को 3 मानकों पर खरा उतना होगा. कानूनी तौर पर, उस वक्त की जरूरत के तौर पर और एक समानता के तौर पर.