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क्या हिंदी नहीं है हमारी राष्ट्रभाषा? अजय देवगण और किच्चा सुदीप में हुई बहस के बहाने समझ लीजिए संविधान क्या कहता है

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Is Hindi Our National Language: हिंदी और राष्ट्रभाषा को लेकर एक बार फिर से बहस छिड़ गई है और इस बार बहस के सूत्रधार बने हैं बॉलीवुड अभिनेता अजय देवगण (Ajay Devgn) और कन्नड़ अभिनेता किच्चा सुदीप (Kiccha Sudeep). दोनों के बीच हुआ ट्विटर वार भले ही शांत हो गया हो, लेकिन लंबे समय से चल रहे सवाल को फिर से जिंदा जरूर कर दिया है. सवाल ये कि क्या हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा (National Language of India) है. दरअसल, किच्चा ने अपने इंटरव्यू में कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है. सुदीप की इन्हीं बातों पर अजय देवगन ने उन्हें निशाने पर लिया और ट्विटर पर कह डाला कि अपनी फिल्में हिंदी में डब क्यों करवाते हो? उन्होंने लिखा कि हिंदी हमारी मातृभाषा और राष्ट्रीय भाषा थी, है और हमेशा रहेगी. बहरहाल, अजय देवगण की बात किस हद तक सच है, यह जानना जरूरी है.

इस बहस के बहाने ही सही, आप भी जान लीजिए कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है या नहीं. और अगर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है तो फिर कौन सी भाषा है? हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है तो फिर क्या है? और हर साल जो हिंदी ​दिवस मनाया जाता है ​तो फिर क्यों ही मनाया जाता है?

हिंदी नहीं है हमारी राष्ट्रभाषा

अजय देवगन के फैन्स भले ही उनका सपोर्ट कर रहे हों, लेकिन उन्होंने जो कहा वह तथ्यों के आधार पर गलत है. यहां तक कि भारतीय संविधान (Constitution of India) के मुताबिक भी उनकी कही बात गलत है. जी हां, यह एक फैक्ट है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नही है. अगर आप पहली बार यह जान रहे हैं तो हो सकता है कि आपको आश्चर्य हो रहा हो! लेकिन सच यही है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है. तो सवाल ये भी है कि हिंदी अगर राष्ट्रभाषा नहीं तो फिर क्या है.

राष्ट्रभाषा नहीं राजभाषा है हिंदी

ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा है. चूंकि देश में बड़ी संख्या में लोग हिंदी बोलते, समझते हैं. ऐसे में हिंदी को राष्ट्रभाषा मान लेने में उन्हें गुरेज भी नहीं. लेकिन सच ये है कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं, बल्कि राजभाषा है.

संविधान के भाग 17 के अनुच्छेद 343 में संघ के राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकृति दी गई है. 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला, लेकिन इसे राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सका. यहां तक कि यह आज तक पूर्णरूप से राज-काज की भाषा नहीं बन पाई है. अपितु गाहे-बगाहे यह आलोचना का शिकार ही हुई है. महात्मा गांधी ने राजभाषा हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की मुहिम चलाई थी और आज भी कहीं न कहीं इस पर बहस होती आ रही है. सवाल ये भी पैदा होता है कि राजभाषा और राष्ट्रभाषा में क्या फर्क है और मातृभाषा इससे कैसे अलग है.

राजभाषा, राष्ट्रभाषा और मातृभाषा को समझिए

दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में हिंदी के शिक्षक डॉ प्रकाश उप्रेती बताते हैं कि राष्ट्रभाषा का मतलब किसी देश की राष्ट्रीय भाषा से होता है. सामान्य तौर पर वह भाषा, जो किसी देश यानी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करता हो. अक्सर लोग ये समझ लेते हैं कि देश के ज्यादातर हिस्सों में जो भाषा बोली जाती है या फिर देश की ज्यादातर आबादी की जो भाषा होती है, वह राष्ट्रभाषा मान ली जाएगी. मगर ऐसा नहीं है.

डॉ उप्रेती बताते हैं कि देश जिस संविधान के अनुसार चलता है, उसमें भाषा की स्वीकृति जरूरी है. जैसे कि राष्ट्रीय प्रतीकों को लेकर है. राष्ट्रगान के तौर पर हम जन गण मन गाते हैं. राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ है, राष्ट्रीय पशु बाघ और राष्ट्रीय पक्षी मोर है. इन सबको संविधान में स्वीकृति मिली हुई है.

अब राजभाषा को समझिए. राजभाषा का मतलब राज यानी शासन व्यवस्था की भाषा, राज्य के कामकाज की भाषा. हिंदी को कामकाज की भाषा यानी राजभाषा के तौर पर ही संविधान ने भी स्वीकृति दी है. वहीं मातृभाषा हर इलाके की अलग-अलग हो सकती है. मातृभाषा यानी जन्म लेने के बाद बच्चा जिस भाषा में पहली बार बोलता, सुनता, समझता है. किसी व्यक्ति के जन्मस्थान और उसके परिवार में बोली जाने वाली भाषा उसकी मातृभाषा होगी.

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