City Headlines

Home Politics क्या कांग्रेस का भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरीं प्रियंका गांधी, रायबरेली-अमेठी में दिखी क्षमता?

क्या कांग्रेस का भरोसेमंद चेहरा बनकर उभरीं प्रियंका गांधी, रायबरेली-अमेठी में दिखी क्षमता?

by Nikhil

इस चुनाव में कांग्रेस को अंतिम रूप से क्या हासिल होने जा रहा है, यह तो चार जून को ही पता चलेगा, लेकिन अब तक की परिस्थितियों से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कांग्रेस एक बार फिर मजबूत वापसी कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो इसका पूरा श्रेय उस राहुल गांधी को जाएगा, जो हार की अंतहीन श्रृंखला के बाद भी न तो कमजोर पड़े और न ही अपने उद्देश्य से डिगे। इस चुनाव में प्रियंका गांधी ने जो क्षमता दिखाई है, उसने कांग्रेस और राहुल गांधी को एक भरोसेमंद साथी दे दिया है, जिनके भरोसे राहुल गांधी महत्त्वपूर्ण कार्य छोड़कर अपना पूरा ध्यान देश की राजनीति पर दे सकेंगे। रायबरेली और अमेठी में पूरे चुनाव की कमान अपने हाथ में संभालकर प्रियंका गांधी ने अपनी इस क्षमता का परिचय भी दे दिया है। कांग्रेस के जानकार इसे पार्टी की एक बड़ी उपलब्धि मानते हैं।

प्रियंका गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर कांग्रेस में हमेशा से असमंजस की स्थिति रही है। कहा तो यहां तक जाता है कि गांधी परिवार राहुल और प्रियंका के बीच अनजाने में ही कोई राजनीतिक रस्साकशी की स्थिति पैदा नहीं होने देना चाहता, इसी कारण से अब तक प्रियंका गांधी को चुनावी पिच पर नहीं उतारा गया है। लेकिन जिस तरह उन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव से ही कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभाला था, इस बात की उम्मीद जताई जाने लगी है कि अब प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री में बहुत देर नहीं है। अब अनुमान यही लगाया जा रहा है कि यदि राहुल गांधी वायनाड के साथ-साथ रायबरेली से भी चुनाव जीतते हैं, तो उन्हें एक सीट छोड़नी पड़ेगी, और प्रियंका गांधी को इसी सीट से मैदान में उतारा जा सकता है।

प्रधानमंत्री पर हमला कर बटोरी सुर्खियां 
वर्तमान लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर हुई हैं, उसे लेकर भी तमाम तरह की चर्चाएं की जा रही हैं। उनके आक्रामक तेवर कांग्रेसियों को खूब भा रहे हैं। लोगों को लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की राजनीति का जवाब देने के लिए कांग्रेस को जिस आक्रामक नेता की आवश्यकता थी, वह प्रियंका गांधी के रूप में उन्हें पूरी होती दिखाई दे रही है। देश के सामान्य कांग्रेस समर्थक जनता के बीच लोगों को इसमें इंदिरा गांधी की छवि भी दिखाई दे रही है। लोगों की यह भावना कांग्रेस को मजबूती दे सकती है।

प्रियंका गांधी ने भाजपा पर हमलावर होने में अपनी राजनीतिक परिपक्वता भी दिखाई है। एक निजी चैनल को दिए गए एक साक्षात्कार के दौरान जब उनसे यह पूछा गया कि भाजपा नेताओं का यह आरोप है कि कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसलिए स्वीकार नहीं कर पाती, क्योंकि वे एक गरीब परिवार से हैं। इस पर प्रियंका गांधी ने जवाब दिया कि उन्हें इस बात का गर्व है कि कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने एक ऐसे लोकतंत्र की नींव रखी जिसमें एक गरीब चाय वाला भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देख सकता है।

इस जवाब से प्रियंका गांधी ने सफलतापूर्वक यह साबित कर दिया कि यदि आज नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तो ऐसा सिस्टम विकसित करने का श्रेय कांग्रेस को जाता है। ऐसा सिस्टम उसी नेहरू-इंदिरा की राजनीति को जाता है, जिसके खिलाफ भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार हमलावर रहते हैं। प्रियंका गांधी ने इस जवाब में  अप्रत्यक्ष तरीके से भाजपा पर हमला भी कर दिया कि वह ऐसा सिस्टम विकसित नहीं कर पा रही है, जिसमें कोई सामान्य गरीब आगे बढ़ने की बात सोच सकता है। प्रियंका गांधी की इस क्षमता ने उनके आलोचकों को भी अपना प्रशंसक बना दिया है।

इसी तरह प्रियंका गांधी ने साक्षात्कार में आम लोगों के जीवन में टीवी पर एक अलग इंडिया और असलियत में दूसरा इंडिया होने की बात कही है। यह उस असमानता को दिखाने के  लिए पर्याप्त है, जिसके बारे में वे लगातार विभिन्न मंचों से आवाज उठती रही हैं। उनकी इसी क्षमता को देखते हुए अनेक लोग ऐसा मानते हैं कि यदि प्रियंका गांधी को आगे बढ़ने का अवसर दिया जाता है, तो वे एक बेहतर राजनेता साबित हो सकती हैं।

नई कांग्रेस का भविष्य बेहतर 
उनके आलोचकों का तर्क रहता है कि जब यूपी विधानसभा चुनाव में उन्हें जिम्मेदारी दी गई थी, प्रियंका गांधी अपने आपको साबित नहीं कर सकीं। उनकी अगुवाई में मजबूती से लड़ी कांग्रेस को उस चुनाव में सबसे कम वोट शेयर और सबसे कम सीटों पर रह जाना पड़ा था। लेकिन राजनीतिक आलोचक विवेक सिंह का मानना है कि उस चुनाव में जनता, विशेषकर पूरा मुस्लिम समुदाय भाजपा के विकल्प के रूप में सपा को आजमाने की सोच बैठा। इस कारण प्रियंका गांधी की पूरी मेहनत का लाभ सपा को मिल गया।

विवेक सिंह के अनुसार, लेकिन अब राहुल गांधी और प्रियंका प्रियंका गांधी जिस तरह मजबूती से लोगों के सामने आईं हैं, गैर भाजपाई वोटरों के दावेदार के रूप में कांग्रेस एक बार फिर सबसे बड़ी दावेदार पार्टी साबित हो सकती है। ऐसे में यदि राहुल और प्रियंका मजबूती से आपसी तालमेल बेहतर करते हुए चुनाव आगे बढ़ें, तो कांग्रेस का नया सूर्योदय हो सकता है। उन्हें लगता है कि रायबरेली और अमेठी का चुनाव परिणाम सामने आने के बाद प्रियंका गांधी के राजनीतिक भविष्य की तस्वीर ज्यादा साफ हो सकती है।