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क्या आप जानते हैं अकबर के यहां लिखी गई थी हनुमान चालीसा, ये है इसे लिखे जाने की कहानी

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हनुमान चालीसा और अजान विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है. हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) से जुड़ा एक मामला तो कोर्ट में भी है. इसके अलावा हनुमान चालीसा को लाउडस्पीकर में बजाए जाने और हनुमान चालीसा के पाठ को लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa Controversy) को लेकर बात हो रही है और लोगों की कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. हनुमान चालीसा को लेकर हो रही चर्चा के बीच इसके महत्व और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताया जा रहा है.

इसी बीच, आज हम आपको हनुमान चालीसा की कहानी के बारे में बता रहे हैं कि हनुमान चालीसा कब लिखी गई थी. साथ ही आपको बता रहे हैं कि हनुमान चालीसा लिखने के पीछे की कहानी क्या है, जिसमें आपको पता चलेगा कि हनुमान चालीसा का अकबर से क्या कनेक्शन है?

कहां लिखी गई थी?

बता दें कि हनुमान चालीसा, भगवान राम के भक्त हनुमान की स्तुति में लिखी गई 40 चौपाइयां हैं. हनुमान चालीसा हिंदू घरों में सबसे ज्यादा प्रचलित है और एक बड़ा वर्ग रोज इसका पाठ करते हैं. अगर इसके लिखे जाने की कहानी की बात करें तो हनुमान चालीसा की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी. खास बात ये है कि हनुमान चालीसा किसी आश्रम में या फिर दरबार में नहीं लिखी गई थी, बल्कि इसे जेल में लिखा गया था.

अकबर से क्या है कनेक्शन?

दरअसल, तुलसीदास ने जब हनुमान चालीसा की रचना की थी, तब वे मुगल शासक अकबर की जेल में थे. जी हां, अकबर की ओर से तुलसीदास जी को पकड़े जाने के बाद ही हनुमान चालीसा की रचना की गई थी. हनुमान चालीसा लिखे जाने को लेकर ये ही कहानी प्रचलित है. माना जाता है कि तुलसीदास जी ने अकबर की जेल में इसकी रचना की थी और इसके बाद जो हुआ था वो देखकर अकबर भी हैरान रह गया था.

क्या है हनुमान चालीसा की कहानी?

हनुमान चालीसा को लेकर प्रचलित कहानी में कहा जाता है कि तुलसीदास जी की काफी प्रशंसा सुनने के बाद अकबर ने उन्हें शाही दरबार में बुलाया था. इसके बाद अकबर ने तुलसीदास को अकबर की प्रशंसा में कुछ ग्रंथ लिखने के लिए कहा और कहा जाता है कि तुलसीदास जी ने ऐसा करने से मना कर दिया था. इसके बाद अकबर ने उन्हें बंदी बना लिया था और जेल में ही तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा की रचना की थी. इस दौरान उन्हें चमत्कार दिखाने के लिए भी कहा गया था और एक चमत्कार हुआ भी थी.

माइथोलॉजिस्ट देवदत्त पटनायक भी हनुमान चालीसा को लेकर ये ही कहानी बताते हैं. उन्होंने कई प्लेटफॉर्म पर हनुमान चालीसा की रचना को लेकर ये ही कहानी सुनाई है. उन्होंने अपने कहानी में बताया है, ‘ अकबर द्वारा तुलसीदास जी को जेल में बंद करने के बाद वे लंबे समय तक जेल में रहे. इस दौरान जेल में ही तुलसीदास जी ने हनुमान चालीसा लिखी. तुलसीदास जी जब जेल में थे तो हनुमान चालीसा के कई बार पाठ के बाद अकबर के महल परिसर और शहर में अचानक बंदरों ने हमला कर दिया और जब अकबर को इस बात का पता चला तो तुलसीदास जी को रिहा करने का आदेश दे दिया.

देवदत्त पटनायक अपने इंटरव्यू में ये भी बताते हैं उस वक्त हनुमान चालीसा के लगातार पाठ से ही उनका संकट कट गया. इसके लिए हनुमान चालीसा में एक लाइन भी है, संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा. अगर इस पंक्ति की लाइन की बात करें तो मतलब होता है कि अगर हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ किया जाए तो हर संकट से मुक्ति मिलती है. इस कहानी के संदर्भ में ही हनुमान चालीसा और अकबर का कनेक्शन बताया जाता है.

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