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कोरोना से संक्रमित होने के बाद युवाओं को हो रही एवीएन बीमारी, स्टेम सेल थेरेपी से हो रहा इलाज

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कोरोना (Corona) से संक्रमित हो चुके युवाओं में एवैस्कुलर नेक्रोसिस (Avascular necrosis) बीमारी के काफी मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना के इलाज़ के दौरान स्टेरॉयड (Steroid) लेने की वजह से लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी में हड्डियों में ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती है.खून की सप्लाई कम होने के कारण हड्डियों के टिश्यू को नुकसान पहुंचने लगता है. कई बार हड्डियां (Bones) पूरी तरह गलना भी शुरू हो जाती है. पिछले कुछ समय से एवीएन के केस बढ़ रहे हैं. कूल्हे में दर्द होना इसका एक प्रमुख लक्षण है. हाल में में ऐसा एक केस भी सामने आया है.

पेशे से आइटी सेक्टर में कार्यरत मनोज (बदला हुआ नाम) कोरोना संक्रमित होने के बाद बीते तीन महीनों से कूल्हे के दर्द से पीड़ित था. पीड़ित के शरीर में खून की आपूर्ति कम होने के कारण हड्डियों के टिश्यू को नुकसान पहुंच रहा था. तेज दर्द और लगातार शरीर में बढ़ रही परेशानी के बाद मनोज इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर में भर्ती हुआ. डॉक्टरों के अनुसार, कूल्हे में दर्द की शिकायत के साथ जब इंजरीज सेंटर पहुंचे तो उनका एक्स-रे और एमआरआई टेस्ट किया गया. इससे उनमे दोनों हिप जॉइंट्स (कूल्हे जोड़ों) के फेमोरल हेड का बायलेटरल एवैस्कुलर नेक्रोसिस (एवीएन)का पता चला.

कई केस आ रहे हैं

अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, इन दिनों युवाओं में कोविड के बाद एवीएन की बीमारी ज्यादा देखने को मिल रही है. हाल ही में कोरोना वायरस के इलाज के दौरान हाई डोज के स्टेरॉयड के उपयोग से एवीएन के कई मामले सामने आए हैं. इंडियन स्पाइनल इंजरीज सेंटर के जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन और आर्थोपेडिक डॉ. विवेक महाजन ने कहा कि इस मामले में मरीज को फेमोरल हेड का एवैस्कुलर नेक्रोसिस था. मरीज के मेडिकल इतिहास से यह भी पता चला कि फरवरी में वह कोविड से पीड़ित था और उसे स्टेरॉयड की हाई डोज दी गई थी, जिससे उसकी स्थिति खराब हो गई थी.

स्टेल सेल थेरेपी से हुआ इलाज़

डॉ. महाजन ने कहा कि स्टेम सेल इंप्लांटेशन दोनों प्रभावित फेमोरल हेड्स के कोर डीकंप्रेशन के साथ किया गया. कोर डीकंप्रेशन एक सर्जिकल प्रक्रिया होती है, जिसमे जोड़ों के पास मृत हड्डी के क्षेत्र में सर्जिकल ड्रिलिंग की जाती है. इस केस में डॉक्टरों ने स्टेम सेल थेरेपी करने का फैसला किया, क्योंकि इससे कूल्हे का प्रत्यारोपण नही कराना पड़ता है. इस थेरेपी में मरीज के अपने स्टेम सेल का इस्तेमाल मरने वाली हड्डी की मरम्मत के लिए किया जाता है.अब मरीज अच्छा महसूस कर रहा है और उसे दर्द से राहत मिल चुकी है.

इन बातों का रखें ध्यान

डॉ. महाजन लोगों को सलाह देते हैं कि अगर किसी को कूल्हे में दर्द हो रहा है, तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसके अलावा डॉक्टरों की सलाह के बिना स्टेरॉयड नहीं लेने चाहिए. खासकर बॉडीबिल्डिंग के लिए जब भी स्टेरॉयड का सेवन करें तो पहले डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें.

ये हैं एवस्कुलर नेक्रोसिस के लक्षण

जोड़ों में दर्द होना

चलने या बैठने में परेशानी होना

हड्डियों में दर्द बने रहना

कूल्हे के आसपास के हिस्से में दर्द रहना

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