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किसानों को मालामाल बना देगी इस औषधीय पौधे की खेती, यहां जानिए बोने से लेकर काटने तक की पूरी प्रक्रिया

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किसान अब प्रयोग करने में पीछे नहीं हैं. वे कुछ हटकर करने की चाह में पारंपरिक फसलों की खेती के साथ ही औषधीय पौधों की खेती (Medicinal Plant Farming) की तरफ भी रुख करने लगे हैं. इनकी खेती से उन्हें कम समय और लागत में अधिक कमाई हो रही है. ऐसा ही एक औषधीय पौधा है शतावरी. इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में कई नाम से जाना जाता है. सबसे खास बात है कि इस पौधे को एक बार लगाने के बाद किसान (Farmers) कई साल तक पैदावार हासिल कर सकते हैं. बस उन्हें समय-समय पर फसल की देखभाल करने की जरूरत होती है. एक एकड़ में शतावरी की खेती कर किसान 4 लाख रुपए तक का मुनाफा कमा सकते हैं. किसानों की आय बढ़ाने के लिए शतावरी एक बेहतरीन विकल्प है.

वैज्ञानिकों के अनुसार शतावरी में ग्लुकोज की भरपूर मात्रा पाई जाती है. भारत में यह पौधा हिमालय के क्षेत्रों में पाया जाता है. इसके फूल सफेद होते हैं और फल गुच्छों में होता है. इसका कंद भी गुच्छों में होता है, जिसका इस्तेमाल औषधीय दवाओं में किया जाता है. शतावरी के पौधे को पूरी तरह विकसित होने और कंद के इस्तेमाल लायक होने में कुल 3 वर्ष का समय लगता है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है. शतावरी के पौधों को अधिक सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. शुरुआत में सप्ताह में एक बार और जब पौधे बड़े हो जाएं तो महीने में एक बार हल्की सिंचाई करनी पड़ती है.

लागत है 1 लाख रुपए और मुनाफा होगा 4 लाख

शतावरी के जड़ों के ऊपर पतला छिलका होता है. छिलके को हटाने पर सफेद दुधिया जड़ प्राप्त होती है, जिसे सुखाने पर चूर्ण मिलता है. इसके लिए ऊष्ण, आर्द्र और जिन क्षेत्रों का तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस हो और वार्षिक वर्षा 250 सेंटी मीटर हो, ऐसी जलवायु शतावरी की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. शतावरी के पौध बीजों से तैयार होती है. शतावरी की खेती के लिए प्रति एकड़ 5 किलो बीज की जरूरत होती है. पौध रोपण के बाद जब पौधे पीते पड़ने लगें, तो इसकी जड़ों की खुदाई कर लेनी चाहिए. इन्हें फिर अलग-अलग कर के सुखाया जाता है.

किसानों को प्रति एकड़ 350 क्विंटल गिली जड़े प्राप्त होती हैं, जो सूखने के बाद 35 क्विंटल ही रह जाती हैं. शतावरी की खेती में लागत प्रति एकड़ 80 हजार से 1 लाख रुपए आती है जबकि मुनाफा प्रति एकड़ 4 लाख रुपए होता है. ऐसे में साफ है कि यह किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए एक उपयुक्त विकल्प है. वर्तमान समय में कई कंपनियां किसानों से कॉन्ट्रैक्ट कर शतावरी की खेती करा रही हैं. इसका फायदा यह है कि किसानों को पैदावार की बिक्री के लिए भटकना नहीं पड़ता है.

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