“किसी भी भारतीय नारी को यह बिल्कुल भी मंजूर नहीं होगा कि वह अपने पति को साझा करे. किसी शादीशुदा महिला को पता चले कि उसका पति एक और शादी उसके रहते हुए करना चाहता है, तो ऐसे में उससे समझदारी की उम्मीद करना असंभव है.” हाल ही में एक मामले में सुनवाई का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने की. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राहुल चतुर्वेदीकी पीठ ने निचली अदालत के फैसले/आदेश को भी सही ठहराया. साथ ही कहा कि वो (आरोपी याची पति) आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाने) के तहत अपराधी भी प्रतीत होता है. मुकदमा उत्तर प्रदेश के वाराणसी (Varanasi Police) के मडुआडीह थाने से जुड़ा है.
मुकदमा एक महिला द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने के बाद दर्ज किया गया था. पुलिस ने दर्ज मुकदमे में महिला के पति को ही मुलजिम बनाया था. पति के खिलाफ ही इस बात के पुख्ता सबूत मिले थे कि, उसने पत्नी को आत्महत्या के लिए उकसाया/मजबूर किया था. दर्ज एफआईआर और अदालतों में पहुंचे इस मामले से जुड़े दस्तावेजों के मुताबिक,”दो बच्चों की मां-महिला ने आत्महत्या करने से पूर्व आरोप लगाया था कि, उसके पति ने बिना तलाक के तीसरी शादी कर ली है. महिला ने जब इसका विरोध किया तो पति उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगा. रोज-रोज मारपीट करने लगा. पति की प्रताड़ना से आजिज महिला ने एक दिन आत्महत्या कर ली.”
निचली कोर्ट का फैसला हाईकोर्ट में सही
मुकदमा जब निचली अदालत में चला तो वहां, आरोपी पति सुशील कुमार व 6 अन्य सह-आरोपियों को दोषी करार दिया गया. लिहाजा आरोपी पित निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील में इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा. उसके साथ 6 सह आरोपी भी निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गए. हाईकोर्ट में याचिका पर जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने सुनवाई की. उन्होंने निचली अदालत के आदेश और फाइल में मौजूद दस्तावेजों को देखा. तब यह टिप्पणी की कि, यह मामला सीधे सीधे आईपीसी की धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाने का) बनता प्रतीत होता है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने याची व अन्य सभी 6 आरोपियों की याचिकाओं को खारिज कर दिया.
हाईकोर्ट ने मुलजिमों को झटका दिया
हाईकोर्ट ने कहा कि,”भारतीय पत्नी अपने पति के लिए बेहद संवेदनशील है. महिला के लिए यह बहुत बड़ा झटका होता है कि, उसे पता चले कि उसके पति को साझा किया जा रहा है. मतलब वो एक पत्नी के रहते किसी अन्य महिला से भी विवाह कर चुका है या दूसरा अथवा तीसरा विवाह करने जा रहा है.” हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अपने फैसले में आगे लिखा, “ये कारण अपने आप में सुसाइड करने के लिए पर्याप्त हैं. पत्नी ने आरोप लगाते हुए आत्महत्या कर ली थी कि, पति पहले से ही शादीशुदा था, उसके दो बच्चे भी हैं. फिर भी आरोपी ने बिना तलाक के ही तीसरा विवाह भी कर लिया. उसके बाद से ही पति दूसरी पत्नी (जिसने आत्महत्या कर ली) को प्रताड़ित करने लगा था.”
चार पहले का यह था मामला…..
उल्लेखनीय है कि इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने पहले ही याची की इस बावत मिली याचिका को खारिज कर दिया था. उसके बाद आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहत की उम्मीद में अपील दाखिल की थी. घटना अब से करीब चार साल पहले यानी सन् 2018 की है. जब पति ने पहले ही दो शादी करने के बाद भी, तीसरी महिला से भी शादी कर ली. जिसके बाद पति द्वारा शुरु किए गए उत्पीड़न से परेशान होकर, दूसरी पत्नी आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाने के लिए विवश हुई थी.