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एक सप्ताह में नीतीश-तेजस्वी की दूसरी मुलाकात, क्या बिहार में दावत-ए-इफ्तार के बहाने सज रहा है सियासत का दस्तरखान

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बिहार में दावत-ए-इफ्तार (Dawat-e-Iftar) के बहाने राजनीतिक मेल मिलाप वाला मौसम चल रहा है. इफ्तार के दस्तरखान के बहाने सियासी गोटी बिछाने की तैयारी की जा रही है. कहा जा रहा है कि बिहार के दो बड़ी राजनीतिक दलों का मिलाप इफ्तार पार्टी के बहाने हो रहा है. हम बात कर रहे हैं जेडीयू की इफ्तार पार्टी की जहां पूरा लालू परिवार आमंत्रित हैं. बीते शक्रवार को तेजस्वी यादव की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार ने शिरकतत की थी. तब नीतीश कुमार पांच साल बाद पैदल ही अपने आवास से राबड़ी आवास पहुंच गए थे. नीतीश कुमार का तेजस्वाी यादव ने गेट पर आकर स्वागत किया था.
नीतीश कुमार तेजस्वी की इफ्तार पार्टी में तब पहुंचे थे जब उसके ठीक एक दिन बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बिहार दौरे पर आ रहे थे.

एक सप्ताह में दूसरी मुलाकात

इसके बाद नीतीश कुमार के आरजेडी के किसी कार्यक्रम में पहुचने की वजह से सियासी सरगर्मियां तेज हो गई. हालांकि इसपर विराम तब लग गया जब अमित शाह के दौरे के दौरान सीएम नीतीश कुमार उनसे मिलने पटना एयरपोर्ट पहुंच गए. लेकिन कहते हैं ना राजनीति में जो दिखता है वह होता नहीं है. नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात के 5 दिन बाद तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार इफ्तार के बहाने फिर मिल रहे हैं

एनडीए में सब ठीक है ?

दरअसल बोचहां में बीजेपी की हार के बाद जिस तरह एनडीए में बयानबाजी हो रही है. उसके बाद कहा जा रहा है कि बिहार एनडीए में सब ठीक नहीं है. जेडीयू जहां बोचहां की हार के लिए बीजेपी को मंथन करने की नसीहत दे रही है वहीं बीजेपी इसे अपनी हार नहीं एनडीए की हार बता रही है. और नीतीश कुमार को हार के लिए समीक्षा करने कह रही है. इस बीच नीतीश कुमार के पुराने पार्टनर और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है

बीजेपी में असहज महसूस कर रहे हैं नीतीश !

कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सहज नहीं महसूस कर रहे है. बीजेपी की बड़ी पार्टी बनने के बाद उनके नेता हमलावर हैं. बीजेपी बड़े भाई की भूमिका में आना चाह रही है. कॉमन सिविल कोड, सीबीएसई पाठ्यक्रम. जातीय जनगणना, इनसब पर बीजेपी जेडीयू के बीच बयानबाजी हो रही है. बीजेपी नेता गठबंधन के नेता नीतीश कुमार पर भी लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. इन बयानबाजियों से नीतीश कुमार असहज महसूस कर रहे है. वह भले ही BJP के सहारे बिहार में सरकार चला रहे हैं लेकिन वह दूसरे ऑप्शन की भी तलाश में हैं और ये दूसरा ऑप्शन महागठबंधन हो सकता है!

ये हो सकता है दूसरा ऑप्शन

अगर नीतीश-तेजस्वी साथ आते हैं तो 243 सीटों वाली विधानसभा में RJD के पास 76 MLA हैं, वही, JDU के पास 45 और एक निर्दलीय साथ है. इधर HAM भी बीजेपी पर हमलावर है. अगर वह भी नीतीश के साथ आती है तो तीनों मिलाकर 126 सदस्यों के समर्थन से सरकार बना सकती है. इसमें कांग्रेस, लेफ्ट और AIMIM का भी समर्थन नहीं लेना होगा. लेकिव तब बड़ा सवाल यह होगा कि सीएम कौन बनेगा. अगर सीएम तेजस्वी यादव बनते हैं तो उनकी क्या भूमिका रहती है?

नीतीश पर जगदाबाबू का तल्ख बयान

इधर इन सभी कयासों पर उस समय विराम लग जाता है जब आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ तल्ख बयानबाजी करते हैं और कहते हैं वह नीतीश कुमार को नाथना चाहते हैं. जेडीयू की इफ्तार पार्टी में नहीं जाने का ऐलान करने वाले जगदानंद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार पर तंज करते हुए कहा है कि जिसमें स्थायित्व ना हो उससे नजदीकी कौन बढ़ाएगा. क्यों बढ़ाएगा.” जेडीयू का आरजेडी में विलय कराने का ऑफर देने के संबंध में उन्होंने कहा कि मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि यहां रहेगा तो शायद दुरुस्त रहेगा. देखते हैं ना गांव में घूम-घूम के जो चरता है, लोग उसको नाथते हैं और खूंटे में बांध देते हैं. तो वो ठीक हो जाता है

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