प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि वे चिंतित हैं क्योंकि उत्तराखंड की जनता के मध्य में असमानता और विकास का अंतर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसे दूर करने के लिए कठिन कदम उठाने होंगे। उन्हें यह भी चिंता है कि यह असमानता अत्यधिक बढ़ने से उत्तराखंड की समृद्धि और विकास को धीमा कर सकती है।
संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने भी उत्तराखंड की जीत के बाद जनता के मध्य में असमानता की चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसे ध्यान में रखकर अपनी नीतियों को संशोधित करना होगा ताकि सभी वर्गों को उत्तराखंड के विकास में समान भागीदारी मिल सके।
बड़े नेताओं के इस चिंता का मुख्य कारण है कि वे समाज की असमानता को देखते हैं जो अधिक विकासशील क्षेत्रों में नजर नहीं आती है। इसलिए, उन्हें यह सोचने की ज़रूरत है कि कैसे सभी को उत्तराखंड के विकास के लाभ में शामिल किया जा सके।
उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने तीसरी बार जीत कर हैट्रिक लगाई है। इससे पहले भाजपा ने 2014 और 2019 में पांचों सीटों पर कब्जा किया था। लगातार बीजेपी ने हैट्रिक मारी है, जिससे भाजपा के हौसले बुलंद हैं। लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी को कहीं न कहीं वोट कम होने की कसक भी सता रही है। उत्तराखंड भाजपा ने 75 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में उसे पांच प्रतिशत वोट कम मिले हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों पर जीत तो गई है। लेकिन तीन बार क्लीन स्वीप करने के बाद उत्तराखंड में बीजेपी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं, क्योंकि आने वाले इसी साल में उत्तराखंड में नगर निकाय, पंचायत चुनाव के साथ दो विधानसभा उपचुनाव भी हैं। यहां 5% प्रतिशत वोट घटा है। इस पर बीजेपी न सिर्फ मंथन करने जा रही है, बल्कि जिम्मेदारी भी तय करने जा रही है।
उत्तराखंड में 5 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने तीसरी बार जीत कर हैट्रिक लगाई है। इससे पहले भाजपा ने 2014 और 2019 में पांचों सीटों पर कब्जा किया था। लगातार बीजेपी ने हैट्रिक मारी है, जिससे भाजपा के हौसले बुलंद हैं। लेकिन उत्तराखंड में बीजेपी को कहीं न कहीं वोट कम होने की कसक भी सता रही है। उत्तराखंड भाजपा ने 75 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने का लक्ष्य बनाया था, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में उसे पांच प्रतिशत वोट कम मिले हैं।
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तराखंड की 5 लोकसभा सीटों पर जीत तो गई है। लेकिन तीन बार क्लीन स्वीप करने के बाद उत्तराखंड में बीजेपी की चिंताएं बढ़ी हुई हैं, क्योंकि आने वाले इसी साल में उत्तराखंड में नगर निकाय, पंचायत चुनाव के साथ दो विधानसभा उपचुनाव भी हैं। यहां 5% प्रतिशत वोट घटा है। इस पर बीजेपी न सिर्फ मंथन करने जा रही है, बल्कि जिम्मेदारी भी तय करने जा रही है।
लोकसभा चुनाव में 5% वोट घटे
BJP ने पिछले निकाय चुनाव में आठ नगर निगम में 6 नगर निगम पर चुनाव जीता था तो इसके अलावा भी नगर पालिका और नगर परिषद के चुनाव में भी बीजेपी का दबदबा था। इसलिए BJP और पार्टी के नेताओं पर अपना प्रदर्शन दोबारा दोहराने का दबाव है। लेकिन जब लोकसभा चुनाव में 5% वोट घटे हैं तो ऐसे में दबाव दुगना हो गया है। वहीं, दो विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी पर यह दबाव रहेगा कि कैसे बद्रीनाथ और मंगलौर सीटों को जीत जाए। हालांकि, यह दोनों सीट बीजेपी के पास नहीं थी। बद्रीनाथ की सीट कांग्रेस के पास तो मंगलौर की बसपा के पास थी।
बीजेपी के पास सबसे बड़ी चुनौती
इसके अलावा धामी सरकार के मंत्रियों की विधानसभा में जीत का अंतर आधा रह गया है, सिर्फ एक मात्र उत्तराखंड सरकार के मंत्री सौरभ बहुगुणा ही है, जिन्होंने पिछली बार के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत का अंतर 4000 ब