खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि गेहूं के अधिक निर्यात और उत्पादन में संभावित गिरावट के बीच चालू रबी मार्केटिंग वर्ष में केंद्र की गेहूं खरीद (Wheat Procurement) आधी यानी 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए कोई परेशानी नहीं होगी. सचिव ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने की संभावना से भी इनकार किया क्योंकि निर्यात से किसानों को अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक कीमत मिल रही है.
पांडेय ने कहा, ‘हमें निर्यात पर किसी भी नियंत्रण के लिए कोई मामला बनता नहीं दिखता है …. गेहूं का निर्यात जारी है और वास्तव में सरकार इसके लिए व्यापारियों को सुविधा प्रदान कर रही है.’ उन्होंने कहा कि मिस्र, तुर्की और कुछ यूरोपीय संघ के देशों जैसे नए निर्यात बाजार भारतीय गेहूं के लिए खुल रहे हैं. उन्होंने कहा कि कृषि-निर्यात संवर्धन निकाय एपीडा निर्यात खेप के लिए सुविधा प्रदान कर रहा है.
पिछले साल 70 लाख टन रहा था निर्यात
खाद्य सचिव ने कहा कि निजी व्यापारियों ने चालू तिमाही के लिए 40 लाख टन निर्यात करने का अनुबंध किया है, और 10 लाख टन पहले ही भेज दिया गया है. उन्होंने कहा कि भारतीय व्यापारियों के पास जून तक निर्यात के लिए एक रास्ता खुला है, क्योंकि उसके बाद अर्जेंटीना से गेहूं की फसल आ जाएगी, जिससे गेहूं की वैश्विक उपलब्धता बढ़ेगी और भारत पर दबाव कम होगा. वित्त वर्ष 2021-22 में गेहूं का निर्यात रिकॉर्ड 70 लाख टन रहा.
निर्यात के लिए गेहूं की मांग बढ़ने के बीच सचिव ने कहा कि किसान अपनी उपज को एमएसपी से अधिक कीमत पर निजी कारोबारियों को बेच रहे हैं. इसके परिणामस्वरूप सरकारी एजेंसियों द्वारा कम खरीद की गई है. उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद में गिरावट ‘किसानों के पक्ष में’ जाती है क्योंकि उन्हें सरकारी एजेंसियों द्वारा दी जाने वाली एमएसपी कीमत से अधिक मूल्य मिल रहा है.
इस बार कुल खरीद 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना
हालांकि, समग्र खाद्यान्न प्रबंधन स्थिति के बारे में सचिव ने कहा, ‘हम अभी भी अधिशेष (सरप्लस) की स्थिति में हैं.’ उन्होंने कहा, ‘…सरकार की गेहूं खरीद कम हुई है. लेकिन चावल की उपलब्धता और खरीद, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है.’
पांडेय ने कहा कि सरकार की गेहूं खरीद अबतक 1.75 करोड़ टन तक पहुंच गई है और मार्केटिंग वर्ष 2022-23 में कुल खरीद 1.95 करोड़ टन रहने की संभावना है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बहुत कम होगा. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से और 20 लाख टन गेहूं की खरीद होने की उम्मीद है. इससे पहले सरकार ने विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 4.44 करोड़ टन निर्धारित किया था, जबकि पिछले विपणन वर्ष में यह रिकॉर्ड स्तर का था. रबी मार्केटिंग सीजन अप्रैल से मार्च तक चलता है लेकिन थोक खरीद जून तक समाप्त हो जाती है.