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अस्थमा का इलाज: एक्सपर्ट से जानें कि कब और किस तरह से करना है ब्रोन्कोडायलेटर्स का इस्तेमाल

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अस्थमा (Asthma) एक क्रोनिक सांस से सम्बंधित बीमारी (Chronic respiratory diseases) है. इस बीमारी से कई देशों में लगभग 1 से 18 प्रतिशत आबादी पीड़ित रहती है. ऐसा अनुमान है कि भारत में लगभग 6 प्रतिशत बच्चों और 2 प्रतिशत वयस्कों को अस्थमा है. इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट, खांसी और/या सीने में जकड़न और तेजी से सांस लेना शामिल है.अस्थमा के लक्षण (Symptoms of Asthma) आते जाते रहते हैं. कई प्रकार की अन्य बीमारियां, एक्सरसाइज, एलर्जी, दवाओं या पर्यावरण की खराब स्थिति जैसी कई चीजें इस खतरे को बढ़ा सकती हैं. इस बीमारी के साथ जीना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. ब्रोन्कोडायलेटर्स (Bronchodilators) की मदद से कुछ हद तक अस्थमा का मैनेजमेंट करना संभव है.

ब्रोन्कोडायलेटर्स वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों को आराम देकर और फेफड़ों से बलगम को साफ करके अस्थमा पीड़ित व्यक्ति को मदद प्रदान करता है. इस बीमारी की दवाएं विभिन्न रूपों में उपलब्ध हैं जैसे कि नेबुलाइज़र सॉल्यूशन, इनहेलर और टैबलेट आदि.

वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन और कुलकर्णी क्लीनिक के डॉ. मिलिंद कुलकर्णी के मुताबिक, ब्रोन्कोडायलेटर्स फेफड़े के वायुमार्ग के आसपास की मांसपेशियों को आराम देकर अस्थमा के लक्षणों को दूर करने में मदद करता हैं. यह दवा वायुमार्ग को खोलती है जिससे फेफड़ों से ज्यादा हवा जाने और बाहर आने में सहूलियत मिलती है. इससे सांस लेना आसान हो जाता है.

दो तरह का होता है ब्रोन्कोडायलेटर्स

डॉ. कुलकर्णी बताते हैं ब्रोन्कोडायलेटर्स दो प्रकार का होता है. पहला होता है कम समय के लिए कारगर (शॉर्ट-एक्टिंग) ब्रोन्कोडायलेटर्स जिससे अस्थमा लक्षणों से छुटकारा या रोकने में मदद मिलती है. दूसरा होता है ज्यादा समय के लिए कारगर (लॉन्ग एक्टिंग) ब्रोन्कोडायलेटर्स, इससे 12 घंटे तक वायुमार्ग खुला रखकर लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है.

शॉर्ट-एक्टिंग ब्रोन्कोडायलेटर्स को “फास्ट-एक्टिंग इनहेलर्स” या “रेस्क्यू इनहेलर्स” के रूप में भी जाना जाता है.क्योंकि ये सीने में जकड़न, सांस में तकलीफ और घरघराहट जैसे लक्षणों का इलाज करते हैं. ये आमतौर पर कुछ ही मिनटों में काम करना शुरू कर देते हैं, लेकिन इनका प्रभाव 4 से 5 घंटे तक ही रहता है.

लंबे समय तक काम करने वाले ब्रोन्कोडायलेटर्स शॉर्ट-एक्टिंग ब्रोन्कोडायलेटर्स की तरह तत्काल राहत नहीं देते हैं और तुरंत लक्षणों का इलाज नहीं करते है. इनका प्रभाव 24 घंटे तक रह सकता है, और अस्थमा से के लक्षणों को होने से रोकने के लिए पीड़ित व्यक्ति इसका सेवन रोज करते हैं.

ब्रोन्कोडायलेटर्स से अस्थमा का इलाज कैसे करें

जब अस्थमा के इलाज की बात आती है, तो युवा के साथ-साथ वयस्कों के लिए लक्षणों की रोकथाम और अचानक अटैक के इलाज दोनों को ध्यान में रखा जाता है. सही दवा का चुनाव कई चीजों पर निर्भर करती है जैसे उम्र, अस्थमा ट्रिगर, लक्षण, और अस्थमा को नियंत्रण में रखने के लिए सबसे अच्छा क्या काम करता है आदि.

लोग आमतौर पर अस्थमा इलाज के लिए इन्हेलर ब्रोन्कोडायलेटर्स को ज्यादा वरीयता देते हैं क्योंकि इससे दवा फेफड़ों तक जल्दी पहुंचती है. इन्हेलर से व्यक्ति को दवा की बहुत ही कम डोज लेनी पड़ती है और मुंह से खाने वाली दवाओं के मुकाबले इसका साइड इफेक्ट भी कम रहता है।

ब्रोन्कोडायलेटर्स के कुछ कॉमन इस्तेमाल निम्न प्रकार से हैं:

नेबुलाइजर

इस प्रकार में लिक्विड ब्रोन्कोडायलेटर दवा का उपयोग किया जाता है जिसे एक एरोसोल में बदल दिया जाता है और एक माउथपीस के माध्यम से बाहर निकाला जाता है.

मीटर डोज वाला इन्हेलर

एक मीटर्ड-डोज़ इनहेलर (एमडीआई) एक दबावयुक्त कैनिस्टर होता है जिसमें दवा होती है. जब कैनिस्टर को दबाया जाता है, तो दवा निकलती है। एमडीआई में एक प्रोपलेंट (प्रणोदक) दवा को फेफड़ों में ले जाने में मदद करता है।

सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर

सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर एक प्रोपलेंट के उपयोग के बिना फेफड़ों में एक एरोसोल क्लाउड की सप्लाई करने में मदद करता हैं.

डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद ही करें इस्तेमाल

डॉ. कुलकर्णी का कहना है कि विभिन्न प्रकार के ब्रोन्कोडायलेटर्स अलग-अलग तरीकों से काम करते हैं. भले ही ब्रोन्कोडायलेटर्स अस्थमा के लक्षणों ( जैसे घरघराहट और सांस लेने में तकलीफ) को कम कर सकते हैं, लेकिन कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशविरा कर लेना चाहिए. उन्हें यह जान लेना चाहिए कि ब्रोन्कोडायलेटर्स के फायदे साइड इफेक्ट से ज्यादा हैं या नहीं.

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