उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की ऐतिहासिक व सोना जड़ित जामा मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एक आरटीआई के जवाब में नगर निगम ने कहा है कि यह सार्वजनिक जगह पर बनी है। इसे लेकर भाजपाई मुखर हो गए है। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने अब सफाई पेश की है। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने जामा मस्जिद पर आरटीआई के तहत मिली सूचना पर पैदा हुए विवाद पर कहा है कि बिना ठोस साक्ष्य के मुद्दे उछालना गलत है।
नगर निगम इसका खंडन करता है। आरटीआई के तहत नगर निगम ने सूचनाएं उपलब्ध कराई थीं। वर्षों पूर्व जो एतिहासिक इमारतें, धार्मिक स्थल बने, वे सार्वजनिक स्थल पर भी खड़े हैं। इन्हें हटाने के लिए नगर निगम न अधिकृत है, न ही ऐसी कोई कार्यवाही अपेक्षित है। नगर निगम शहर को स्वच्छ, सुंदर और यातायात व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए प्रयासरत है।
प्रिंस कालोनी निवासी केशवदेव शर्मा ने आरटीआई के तहत जामा मस्जिद को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर नगर निगम से सूचनाएं मांगी थीं। इन्हीं सूचनाओं के जवाब में नगर निगम ने बताया कि जामा मस्जिद सार्वजनिक स्थल पर बनी हुई है। इसका मालिकाना हक किसी व्यक्ति विशेष का नहीं है। मस्जिद निर्माण से संबंधी कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। इस पर पूर्व मेयर ने कहा कि नगर निगम ने स्पष्ट कर दिया है कि मस्जिद सार्वजनिक स्थल पर बनी हुई है।
सार्वजनिक स्थल पर कोई भी अवैध कब्जा नहीं होना चाहिए। स्मार्ट सिटी के तहत जगह-जगह सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है। अवैध कब्जे हटाने का कार्य भी होगा। शासन के भी यही निर्देश हैं। ऊपरकोट पर जाकर देखा तो हुल्लड़ बाजार की तहत भीड़ लगी रहती है। इसी प्रकार बारहद्वारी पर सब्जी वाले भी सड़क पर कब्जा कर दुकानें लगाते हैं, जिससे राहगीरों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता है। नगर निगम कब्जा नहीं हटाएगा तो शहर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा।