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अभी और चमकेगी चांदी, दाम में 30 परसेंट तक आ सकता है उछाल

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कोविड (Covid-19) के डर से शेयर बाजार गोते खा रहा है. सोने के दाम लंबे समय से एक दायरे में घूम रहे हैं. इस बीच चांदी (Silver Price) में निवेश के नए मौके बनते दिख रहे हैं. चांदी पर मोतीलाल ओसवाल की ताजा रिपोर्ट में एक अच्छी तेजी संभावना जताई गई है. अगले 12 महीनों में दाम (Silver Price Today) 30 फीसद तक उछल सकते हैं. ग्लोबल मार्केट में चांदी का मौजूदा भाव 23 डॉलर प्रति औंस के करीब है, जिसके 30 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. माना जा रहा है कि दुनिया में जितनी तेजी से स्वच्छ ईंधन की बढ़ेगी, उतनी ही तेजी चांदी में दिखने की संभावना है.

दुनियाभर में ग्रीन टेक्नोलॉजी और स्वच्छ ईंधन की मांग बढ़ रही है. इससे चांदी की औद्योगिक मांग बढ़ेगी और कीमतों को सहारा मिल सकता है. दुनियाभर में चांदी की जितनी खपत होती है. उसमें आधे से ज्यादा भागीदारी औद्योगिक मांग की रहती है.

क्या हैं तेजी की वजहें?

सिल्वर इंस्टिट्यूट का वर्ल्ड सिल्वर सर्वे बताता है कि 2021 में दुनियाभर में कुल 32627 टन चांदी की खपत हुई जिसमें 15807 टन इंडस्ट्रियल मांग थी. बाकी हिस्सेदारी ज्वैलरी, सजावट का सामान, बर्तन यानी सिल्वरवेयर और निवेश के लिए थी.

सिल्वर इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट में 2022 के दौरान चांदी की इंडस्ट्रियल मांग में सिर्फ 6 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है. वहीं ज्वेलरी और सिल्वरवेयर मांग में जोरदार बढ़ोतरी का अनुमान है. सिल्वरवेयर की मांग 23 फीसद बढ़कर 1639 टन और ज्वेलरी की मांग 11 फीसद बढ़कर 6275 टन रहने का अनुमान है. यह बढ़ी हुई मांग भी चांदी की कीमतों को सहारा दे सकती है.

भारत में चांदी का इस्तेमाल ज्वेलरी के रूप में भी होता है. दुनियाभर में चांदी की जितनी ज्वेलरी बनती है उसमें लगभग एक तिहाई हिस्सा भारत का है. इसके अलावा सिल्वरवेयर के तौर पर इस्तेमाल होने वाली चांदी में भारत की हिस्सेदारी 50 फीसद से ज्यादा है. यानी वैश्विक स्तर पर 2022 के दौरान चांदी की खपत बढ़ने से कीमतें बढ़ीं तो उनमें भारतीय मांग का बड़ा योगदान होगा.

मांग आपूर्ति के इस समीकरण में एक पेच भी है. चांदी कुल मांग में आधे से ज्यादा हिस्सा रखने वाली औद्योगिक मांग को कहीं कोविड की नजर न लग जाए. यानी औद्योगिक मांग से चांदी की कीमतों को सहारा मिलेगा, यह चीन, जापान और अमेरिका के हालात पर निर्भर करेगा क्योंकि दो तिहाई से ज्यादा चांदी का इस्तेमाल इन तीनों देशों में ही होता है.

चीन फिलहाल कोरोना से जूझ रहा है और अमेरिका में जीडीपी ग्रोथ घटने लगी है. बाकी जापान सहित पूरी दुनिया महंगाई का सामना तो कर ही रही है. जबतक इन चुनौतियों का हल नहीं निकलता तब तक इंडस्ट्रियल मांग से बड़ी उम्मीद रखना जायज नहीं. यानी कुल जमा बात यह कि अगर कोविड के कारण बड़ी अर्थव्यवस्था में लॉकडाउन नहीं लौटे तो चांदी के बाजार की चमक 2022 में बढ़ सकती है.

तो फिर क्या करें निवेशक?

कमोडिटी बाजार के विशेषज्ञ अनुज गुप्ता कहते हैं निवेश के लिहाज से चांदी अच्छा विकल्प हो सकता है. भारतीय बाजार में अगले एक साल में भाव 70 से 75 हजार रुपये प्रति किलो के भाव देखने को मिल सकते हैं. ध्यान रहे, चांदी का मौजूदा भाव 63000 रुपए प्रति किलो के ऊपर है.

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