फलों की रानी लीची (Lichee) का स्वाद अपनी ओर सभी को आकर्षित करता है, लेकिन लीची खाने के लिए लोगों को सहीं समय का चयन करना पड़ता है. थोड़ी सी देरी भी एक साल तक का इंतजार करा सकती है. असल में लीची के बारे में कहा जाता है कि इसको खाने के लिए हरेक साल सिर्फ 15 दिनों का ही मौका मिलता है. इसका मुख्य कारण यह है कि पेड़ से तोड़ने के दो से तीन दिन बाद ही लीची बेस्वाद होने के साथ ही काली पड़ने लगती है, लेकिन अब यहीं लीची सीजन खत्म होने के बाद भी बाजार (Market) में उपलब्ध हो सकेगी. नतीजतन पेड़ से तोड़ने के बाद 35 दिनों तक लीची का प्राकृतिक स्वाद लिया जा सकेगा. यह सब संभव एक शोध के कारण हुआ है. जो लीची के शौकीनों के साथ ही किसानों की जिदंगी बदलने जा रहा है.
भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर और लीची इंस्टीट्यूट सेंटर ने तैयार किया कूल कंटेनर
लीची की उम्र बढ़ाने के लिए यह शोध भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (Bhabha Atomic Research Centers) और नेशनल लीची रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Lychee Research Institute) मुजफ्फरपुर ने किया है. दोनों संस्थानों ने संयुक्त रूप से एक कूल कंटेनर तैयार किया है, जिसका प्रयोग बिहार के समस्तीपुर जिले के नयानगर के किसान सुधांशु कुमार के यहां पर किया गया है. जिसके नतीजों ने लीची को लेकर बहुत सारी धारणाओं को तोड़ दिया है. जिसको लेकर संस्थान के साथ ही लीची किसान भी काफी खुश हैं. सुधांशु कुमार बताते हैं कि शोध में सामने आया है कि यह कूल कंटेनर लीची को 35 दिनों तक प्राकृतिक स्वाद के साथ सुरक्षित रखने में सक्षम है. मतलब इस कूल कंंटेनर में सुरक्षित रखी गई लीची 35 दिनों तक ताजी-ताजी खाई जा सकेगी. इन 35 दिनों में लीची का ना रंग बदलेगा और ना ही स्वाद में कोई असर पड़ेगा.
कूल कंटेनर का प्रयोग बड़े पैमाने पर कराने के प्रयास जारी
लीची की उम्र बढ़ाने वाले कूल कंटेनर को लेकर वैज्ञानिक भी उत्साहित है. इसको लेकर सेंट्रल लीची रिसर्च सेंटर मुजफ्फरपुर के डायरेक्टर शेशधर पांडेय ने टीवी9 से बातचीत करते हुए कहा कि लीची की उम्र बढ़ाने के लिए लंबे समय से प्रयास जारी थे. जिसके तहत यह रिसर्च की गई थी. जिसके नतीजे बहुत ही चौकाने वाले सामने आए हैं. जो किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस कूल कंटेनर में लीची को रखने के बाद 35 दिनों तक खाया जा सकता है. इस कूल कंटेनर का बड़े पैमाने पर प्रदर्शित करने का अनुरोध भाभा सेंटर से किया गया है.
किसानों को लीची के मिलेंगे बेहतरीन दाम
यह कूल कंटेनर किसानों के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकता है. इस कूल कंटेनर का व्यवहारिक तौर पर प्रयोग होने से लीची किसान फल को तोड़कर इस कूल कंटेनर में रख सकेंगे. जिसके बाद उन्हें बेहतर दाम में लीची को बेचने का मौका मिलेगा. असल में अभी तक किसान धूप बढ़ते ही लीची को पेड़ से तोड़ लेते हैं. जिसके बाद किसानों को लीची को बेचना पड़ता है. इसके पीछे मुख्य कारण लीची को खराब होने से बचाना होता है. असल में पकने के बाद लीची को पेड़ में भी अधिक दिनों तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है. पेड़ में अधिक दिन में रहने पर लीची सूखने लगती है. वहीं पेड़ से तोड़ने के एक से दो दिन में ही लीची काली पड़ जाती है. इस कारण किसान लीची तोड़ने के बाद उसे जल्द से जल्द बेच देते हैं.