खाने पीने की महंगी वस्तुओं की लिस्ट में अब जीरा (Cumin) भी शामिल होने जा रहा है. एक रिपोर्ट की माने तो आने वाले समय में जीरा की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकती है. क्रिसिल (Crisil) रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस साल जीरे के बुवाई कम हुई थी. वहीं बारिश से भी फसल को नुकसान पहुंचा है ऐसे में जीरे की कीमत 5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा फसल सत्र में जीरे की कीमतों (Price) में 30 से 35 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिल सकती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि किसानों के द्वारा दूसरी फसलों की बुवाई से जीरे की फसल का क्षेत्र पहले ही घट गया था, बारिश से सप्लाई और घटने की आशंका बन गई है.
5 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकते हैं भाव
क्रिसिल रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि बुआई का कम रकबा होने और अधिक वर्षा के कारण फसल को नुकसान होने से जीरा की कीमतें फसल सत्र 2021-2022 में 30-35 प्रतिशत तक बढ़कर पांच साल के उच्चतम स्तर तक पहुंच सकती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक उपज कम होने से जीरा के भाव 165-170 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकते हैं. फसल सत्र 2021-22 (नवंबर-मई) में कई कारणों से जीरा का उत्पादन कम रहने की आशंका है जिससे जीरा की कीमतें पांच साल के उच्च स्तर तक जा सकती हैं. क्रिसिल का अनुमान है कि रबी सत्र 2021-2022 में जीरे की कीमतें 30-35 प्रतिशत बढ़कर 165-170 रुपये प्रति किलोग्राम को छू सकती हैं रिपोर्ट के मुताबिक, रबी सत्र 2021-2022 के दौरान जीरा का रकबा भी साल-दर-साल अनुमानित रूप से 21 प्रतिशत घटकर 9.83 लाख हेक्टेयर रह गया. दो प्रमुख जीरा उत्पादक राज्यों में से गुजरात में इसकी खेती के रकबे में 22 प्रतिशत और राजस्थान में 20 प्रतिशत की गिरावट आई है.
सरसों और चना की तरफ आकर्षित हुए किसान
रिपोर्ट के अनुसार, रकबे में गिरावट किसानों द्वारा सरसों और चने की फसलों का रुख करने के कारण हुई है. सरसों और चना की कीमतों में उछाल आने से किसान उनकी खेती के लिए आकर्षित हुए हैं. रिपोर्ट में जानकारी दी है कि जीरे की खेती करने वाले कई किसानों में अपने खेत में बेहतर कीमत देने वाली फसलें बोई हैं. जिससे जीरे की बुवाई का क्षेत्रफल घटा है और उत्पादन में कमी आने से कीमतें बढ़ने की संभावनाएं बन गई हैं.