एरोपोनिक विधि से विषाणु रोग रहित आलू बीज (Potato Seed) उत्पादन के लिए मध्य प्रदेश सरकार के केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के साथ बुधवार को नई दिल्ली में एक करार किया. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले इस संस्थान ने हवा में आलू के बीज उत्पादन की यह अनूठी तकनीक विकसित की है. इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को फसलों के प्रमाणित बीज समय पर उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है. इसी कड़ी में आईसीएआर के संस्थानों द्वारा अपने-अपने क्षेत्र में नई तकनीकों (New Agriculture Technology) का विकास किया जा रहा है. जिसका फायदा किसानों तक पहुंचाने की कोशिश जारी है.
आईसीएआर (ICAR) के अधीन आने वाले केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित विषाणु रोग रहित आलू बीज उत्पादन की एरोपोनिक तकनीक (Aeroponic Technology) से आलू की उपलब्धता देश के कई भागों में किसानों के लिए सुलभ की गई है. आज मध्य प्रदेश के बागवानी विभाग को इस तकनीक का लाइसेंस देने के लिए अनुबंध किया गया है. तोमर ने कहा कि यह नई तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को महत्वपूर्ण रूप से पूरा करेगी. जिससे देश में आलू के उत्पादन में वृद्धि होगी. किसानों की आय बढ़ेगी.
रिसर्च के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सराहना
कृषि मंत्री ने कहा कि आलू विश्व की सबसे महत्वपूर्ण गैर-अनाज फसल है, जिसकी वैश्विक खाद्य प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने इसके उत्पादन में वृद्धि के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सराहना की. कहा कि कृषि के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार अनेक योजनाओं पर मिशन मोड में काम कर रही है. भारत आलू का प्रमुख उत्पादक है.
आलू का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है मध्य प्रदेश
इस मौके पर मध्य प्रदेश के बागवानी मंत्री भरत सिंह कुशवाह ने उम्मीद जताई कि यह तकनीक आलू के बीज की आवश्यकता को काफी हद तक पूरा करेगी. राज्य में आलू उत्पादन में वृद्धि होगी. कुशवाह ने कहा कि मध्य प्रदेश भारत में आलू का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है. मालवा क्षेत्र आलू उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह आलू प्रोसेसिंग (Potato Processing) के लिए आदर्श क्षेत्र के रूप में उभर रहा है.
इन क्षेत्रों में होती है आलू की खेती
मध्य प्रदेश में प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर, छिंदवाड़ा, सीधी, सतना, रीवा, सरगुजा, राजगढ़, सागर, दमोह, जबलपुर, पन्ना, मुरैना, छतरपुर, विदिशा, रतलाम एवं बैतूल हैं. अकेले इंदौर जिला क्षेत्र, राज्य उत्पादन में लगभग 30 फीसदी का योगदान दे रहा है. प्रदेश में उच्च गुणवता वाले बीज की कमी हमेशा से एक समस्या रही है, जिसका समाधान किया जा रहा है. आलू अनुसंधान संस्थान के साथ हुए करार से किसानों को काफी सहूलियत होगी.
प्रदेश के बागवानी आयुक्त ई. रमेश कुमार ने कहा कि एमपी को लगभग चार लाख टन बीज की आवश्यकता है, जिसे 10 लाख मिनी ट्यूबर उत्पादन क्षमता वाली इस तकनीक से पूरा किया जाएगा. प्रसंस्करण में गुणवत्ता वाले आलू बीज की उपलब्धता भी राज्य के आलू प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देगी.
एरोपॉनिक तकनीक में क्या है
एरोपोनिक तकनीक के माध्यम से पोषक तत्वों का छिड़काव मिस्टिंग के रूप में जड़ों में किया जाता है. पौधे का ऊपरी भाग खुली हवा व प्रकाश में रहता है. एक पौधे से औसत 35-60 मिनिकन्द (3-10 ग्राम) प्राप्त किए जाते हैं. चूंकि, मिट्टी उपयोग नहीं होती तो मिट्टी से जुड़े रोग नहीं होते और पारंपरिक प्रणाली की तुलना में एरोपॉनिक प्रणाली प्रजनक बीज के विकास में दो साल की बचत करती है. इस तकनीक का व्यावसायीकरण 8 राज्यों की 20 फर्मों के साथ आलू बीज उपलब्धता के लिए किया गया है.