आने वाले दिनों में आलू और महंगा हो सकता है। नवंबर के अंत तक आलू के दाम ऐसे ही बने रहने की संभावना है। हालांकि, आलू की नई फसल मार्केट में आने की बाद कीमतों में गिरावट शुरू हो जाएगी। लेकिन आम लोगों को अभी 5 से 6 महीने महंगा आलू खरीदना होगा।
साल भर घरों में सबसे ज्यादा बनाई जाने वाली सदाबहार सब्जी आलू के दाम बढ़ने से रसोई का बजट बिगड़ गया है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख आलू उत्पादक राज्यों में इस बार खराब मौसम के चलते उत्पादन में गिरावट आई है। इसके चलते आलू की कीमत में पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
व्यापारियों और कोल्ड स्टोरेज के मालिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में आलू और महंगा हो सकता है। नवंबर के अंत तक आलू के दाम ऐसे ही बने रहने की संभावना है। हालांकि, आलू की नई फसल मार्केट में आने की बाद कीमतों में गिरावट शुरू हो जाएगी। लेकिन आम लोगों को अभी 5 से 6 महीने महंगा आलू खरीदना होगा। 15 फरवरी से 31 मार्च के दौरान कटाई के बाद किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। इसमें उत्पादन का लगभग 60 फीसदी कोल्ड स्टोरेज में संग्रहीत किया जाता है, जबकि लगभग 15 फीसदी उपज कटाई के बाद सीधे बाजार में आती है। जबकि बाकी का उपयोग बीज के रूप में किया जाता है। आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार की हिस्सेदारी 80 फीसदी से अधिक है।
एशिया की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी आजादपुर मंडी दिल्ली के व्यापारियों का कहना है कि देश की प्रमुख सब्जी उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 53 फीसदी हिस्सेदारी है। लेकिन दोनों ही राज्यों में प्रतिकूल मौसम के कारण आलू के उत्पादन में गिरावट देखी गई हैं। ये गिरावट करीब 10 से 15 फीसदी तक आई है। इधर, यूपी के सब्जी मंडी के व्यापारियों का कहना है कि जनवरी में अधिक ठंड के कारण उत्तर प्रदेश में इस वर्ष आलू की उपज लगभग 115 क्विंटल प्रति एकड़ हुई, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 150 क्विंटल थी। कोहरा और कई दिनों तक धूप न निकलने की वजह से आलू के कंदों का निर्माण प्रभावित हुआ। जबकि दूसरे बड़े आलू उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में आलू की फसल की बुआई और कटाई के दौरान बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है।
कृषि मंत्रालय ने भी बागवानी फसल उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान में कहा है कि पश्चिम बंगाल में उत्पादन में कमी के कारण 2023-24 सीजन में आलू का उत्पादन पिछले वर्ष के रिकॉर्ड 60.14 मिलियन मीट्रिक टन से मामूली गिरावट के साथ 58.88 मिलियन टन (एमटी) होने का अनुमान है। 16 मई के उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, देश भर में आलू की मॉडल खुदरा कीमत 30 रुपये प्रति किलोग्राम थीं, जो तीन महीने पहले की कीमतों की तुलना में 50 फीसदी की वृद्धि है। मार्च, 2024 में 41 फीसदी की वृद्धि के मुकाबले पिछले महीने आलू की खुदरा कीमतों में 53 फीसदी की वृद्धि हुई थी।