City Headlines

Home Uttarakhand अति संवेदनशील है केदारनाथ पैदल मार्ग, कदम-कदम पर भूस्खलन और हिमस्खलन का खतरा

अति संवेदनशील है केदारनाथ पैदल मार्ग, कदम-कदम पर भूस्खलन और हिमस्खलन का खतरा

by Nikhil

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत बाबा केदार की नगरी केदारनाथ धाम को सुरक्षित करने के साथ ही सजाया और संवारा जा रहा है। लेकिन, धाम तक जाने के लिए पहुंच मार्ग अब भी सुरक्षित नहीं है। यहां रास्ते पर पहाड़ियों से कब पत्थर गिर जाए, कहना मुश्किल है।

इसके अलावा यहां हिमस्खलन का भी खतरा बना रहता है। समुद्रतल से 11,750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किमी पैदल दूरी तय करनी होती है। यह रास्ता शुरू से ही भूस्खलन को लेकर अति संवेदनशील है।

चिरबासा, छौड़ी, जंगलचट्टी, रामबाड़ा, लिनचोली और छानी कैंप भूस्खलन के साथ ही हिमस्खलन जोन भी है। बीते छह वर्षों में पैदल मार्ग पर यात्राकाल में पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आने से 16 यात्रियों की मौत हो चुकी है। बावजूद इसके रास्ते पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हो पाए हैं।

वर्ष 2017 में छौड़ी में पहाड़ी से गिरे पत्थर की चपेट में आने से एक यात्री की मौके पर मौत हो गई थी। इसी वर्ष चिरबासा में भी पहाड़ी से गिरे पत्थर से एक महिला यात्री की मौत हो गई थी।

वर्ष 2018 में भीमबली में भारी भूस्खलन से एक यात्री को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। भारी मलबे से घटना के दो दिन बाद शव मिला था।

2018, 2019 में यहां दो-दो यात्रियों की पत्थर की चपेट में आने से मौत हो गई थी।

बीते वर्ष 2022 में सोनप्रयाग से छानी कैंप तक बोल्डर और पत्थरों ने 6 यात्रियों की मौत हो गई थी।

बीते वर्ष भी यात्रा में पहाड़ी से गिरे पत्थर दो यात्रियों सहित तीन लोगों की मौत हो गई थी।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि पैदल मार्ग पर जहां-जहां संवेदनशील जोन हैं, वहां पर सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की जा रही है। साथ ही यात्रियों को रास्ता आरपार कराने के लिए सुरक्षा जवान तैनात किए जाएंगे।