अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के मौके पर सर्राफा बाजार में कुछ रौनक लौटती दिखी. व्यापारियों के संगठन कैट का अनुमान है कि इस बार अक्षय तृतीया पर सर्राफा बाजार में 15 हजार करोड़ रुपए का कारोबार (Business) हुआ. यह कोविड (Covid-19 Pandemic) से पहले की तुलना में 50 फीसदी ज्यादा है. 2019 के दौरान कुल 10 हजार करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान है. हालांकि इस रिकॉर्ड टर्नओवर में महंगाई (Inflation) का एक पेंच है. 2019 की अक्षय तृतीया पर सोने का भाव 31700 रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब था और इस बार भाव 50,700 रुपए के ऊपर है. यानी भाव 60 फीसदी तक बढ़ चुका है. यानी 2 साल में मूल्य के आधार पर कारोबार अगर 50 फीसदी भी बढ़ा है, तो भी इस बार की अक्षय तृतीया पर उतना सोना नहीं बिका है, जितना 2019 में बिका था.
कारोबार में बढ़ोतरी तो सिर्फ भाव बढ़ने की वजह से हुई है. बुलियन और ज्वेलरी एसोसिएशन भी कम ग्राहकी के लिए सोने की बढ़ी हुई कीमतों को वजह मान रहे हैं. द बुलियन ऐंड ज्वैलरी एसोसिएशन के प्रेसीडेंट योगेश सिघंल कहते हैं कि अक्षय तृतीया पर कारोबार बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन सोने का भाव 50 हजार रुपए के ऊपर बना हुआ है. जिस वजह से उतने खरीदार बाजार में नहीं उतरे हैं, जितने 2019 की अक्षय तृतीया पर थे.
सोने के आयात में भारी गिरावट
यानी बढ़ी हुई कीमतों की वजह से अक्षय तृतीया पर ज्यादा खरीदारी की संभावना नहीं थी. ज्वैलरी की बिक्री पहले ही कम थी और मार्च में खत्म तिमाही के दौरान सोने के आयात में भारी गिरावट भी आई है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, मार्च में खत्म तिमाही के दौरान देश में ज्वैलरी की मांग 26 फीसदी घटकर 94.2 टन रही है, जबकि सोने का आयात 55 फीसदी घटकर 147.2 टन दर्ज किया गया है.
इस हिसाब से जब तक सोने का भाव कम नहीं होता है, तब तक बाजार में रौनक लौटने की उम्मीद कम है. बाजार के जानकार सोने की कीमतों में कमी की संभावना से भी इनकार कर रहे हैं. ब्रोकिंग फर्म ट्रस्टलाइन के कमोडिटी एक्सपर्ट राजीव कपूर का मानना है कि इस साल सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद कम है. उनका कहना है कि भाव 49,000-53,000 रुपए के बीच रह सकता है.
ज्वैलरी मार्केट की उम्मीदें अब रबी फसल पर टिकी हैं. एमएसपी से ऊपर अपनी पैदावार बेचने के बाद किसानों के हाथ पैसा आएगा, तो वे शादी के सीजन में अच्छी खरीदारी कर सकते हैं. देश में ज्वैलरी की 60 फीसद मांग गांव से ही निकलती है. ऐसे में कोविड की मार से परेशान सर्राफा बाजार गांव वालों के सहारे ही उबरने का रास्ता ढूंढ रहे हैं.